असम की हिमंत सरकार ने राज्य में घुसपैठ करने वालों को करने की तैयारी शुरू कर दी है। सरकार के इस अभियान से पूर्वी असम के गोलाघाट जिले में 2,000 से अधिक परिवारों के प्रभावित होने की संभावना है। राज्य के अधिकारियों का कहना है कि गोलाघाट जिले के उरियमघाट इलाके में स्थित रेंगमा रिजर्व फॉरेस्ट की लगभग 15 हजार बीघा जमीन पर करीब 2,700 परिवार रहता है। जहां रहने वाले ज़्यादातर बंगाली मूल के मुसलमान हैं।
इस मामले को लेकर एक ज़िला अधिकारी ने बताया, ‘वन विभाग ने इलाके को नौ ब्लॉकों में बांट दिया है और निवासियों को सात दिनों के भीतर इलाका खाली करने का नोटिस दिया गया है। उन्होंने वहां से हटाने की तैयारी के लिए, पुलिस, कमांडो और वन सुरक्षा कर्मियों सहित 1,500 से ज्यादा सुरक्षा बल वहां तैनात किए गए हैं।’ दो चरणों में इस अतिक्रमण को मुक्त किया जाएगा। पहला चरण में लगभग 2,000 परिवारों को वहां से हटाया जाएगा। ये पूरी कार्रवाई मंगलवार से शुरू होगा।
जंगल साफ करने के लिए किया जा रहा बेदखल
प्रदेश में होने जा रही इस बेदखली की श्रृंखला में बिलकुल नया होगा। ये प्रक्रिया मुख्य रूप से बंगाली मूल के मुसलमानों को प्रभावित करेगा। जिसे असम सरकार ने ‘एक धर्म के लोगों’ द्वारा ‘जनसांख्यिकीय आक्रमण’ को रोकने का साधन कहा है। उरियमघाट बेदखली के लिए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व में दो हफ्ते लंबा अभियान चला। सरमा ने इसे मध्य और पश्चिमी असम से बंगाली मुसलमानों के आने का एक प्रमुख मामला बताया, जहां उनकी आबादी घनी है। वे पूर्वी असम की ओर बढ़ रहे हैं, जिसे वे ‘जनसांख्यिकीय आक्रमण’ से बचाने की जरूरत बताते रहे हैं। उन्होंने कहा है कि अतिक्रमणकारियों ने इस इलाके में सुपारी की व्यापक खेती के लिए जंगल साफ कर दिए हैं।
बीजेपी के सरूपथाट विधायक बिस्वजीत फुकन ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उनके विधानसभा क्षेत्र से यह बेदखली होगी। उन्होंने बताया ‘इन इलाकों में 90% से ज़्यादा लोग पहले ही अपना सामान समेटकर जा चुके हैं। बंगाली मुसलमानों के अलावा, 42 मणिपुरी मुसलमानों और 92 नेपाली परिवारों को भी इलाका खाली करने को कहा गया है।,’
बोडो परिवारों को नहीं किया जाएगा बेदखल
फुकन ने आगे कहा कि वहा 150 बोडो परिवार भी रहते हैं, लेकिन उन्हें बेदखल नहीं किया जाएगा क्योंकि उनके पास 2006 के वन अधिकार अधिनियम के अनुसार वन अधिकार प्रमाण पत्र हैं। अखिल असम अल्पसंख्यक छात्र संघ के प्रतिनिधियों ने भी पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री से मुलाक़ात की थी जब उन्होंने उस जगह का दौरा किया था। अगर 1971 से पहले वहां रहने वाले परिवार हैं, तो सरकार उन्हें क़ानूनी मुआवज़ा देने पर विचार करेगी, लेकिन पहले उन्हें बेदखल करना होगा।
इस कार्रवाई की आशंका के चलते, नागालैंड सरकार भी पिछले हफ्ते से हाई अलर्ट पर है। चूंकि ये इलाका असम-नागालैंड बॉर्डर पर स्थित है और नागालैंड सरकार ने बेदखल लोगों को राज्य में प्रवेश करने से रोकने के लिए सीमा पर पुलिस और ज़िला प्रशासन के जवानों को तैनात किया है।