पाकिस्तान में रह रहे आतंकी सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र में फ्रांस ने प्रस्ताव रखा है। संरा सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की ‘प्रतिबंध समिति’ (सैंक्शन कमिटी) ने 13 मार्च को इस मामले की सुनवाई के लिए नोटिस जारी किया है। अमेरिका और रूस इस प्रस्ताव पर साथ आ गए हैं। इन दोनों देशों ने मसूद पर अपना रुख बदलने के लिए चीन पर दबाव डाला है। संकेत हैं कि आतंकियों के वित्तपोषण पर निगाह रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘एफएटीएफ’ की ‘ग्रे लिस्ट’ में शामिल पाकिस्तान भी इस मुद्दे पर दबाव में है और अतीत की तरह मसूद के पक्ष में खड़ा नहीं होगा।

क्या है प्रस्ताव ‘1267 आइएसआइएल’

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267/1989/2253 की व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आतंकवाद प्रतिरोधी रणनीति का मूलभूत अंग है, जिसका लक्ष्य सभी सदस्य राष्ट्रों और उनके नागरिकों की जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी गुटों और उसके नेता मसूद अजहर की गतिविधियों से रक्षा करना होना चाहिए। सर्वसम्मति और नामहीनता के सिद्धांतों पर आधारित इसकी कार्य प्रणालियां समिति को इस बात के लिए प्रेरित करती हैं कि वह आतंकवाद के खिलाफ जंग छेड़ने के लिए चयनशील रवैया अख्तियार करे।

चौथी बार पेश हुआ प्रस्ताव
पिछले 10 साल में संरा में यह चौथा मौका है जब इस तरह का प्रस्ताव पेश किया गया। इससे पहले 2009 और 2016 में भारत ने संरा में मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पेश किया था। यही आतंकी सरगना पठानकोट वायुसैनिक अड्डे पर जनवरी 2016 में हुए हमले का भी मास्टरमाइंड था। 2016 के प्रस्ताव में भारत का पी3 देशों- अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने साथ दिया था। 2017 में इन्हीं पी3 देशों ने संरा में ऐसा ही प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन हमेशा की तरह चीन ने यूएन में प्रस्ताव मंजूर होने की राह में रोड़े अटका दिए थे। दरअसल, पाकिस्तान स्थित जैश ए मोहम्मद को उसकी कुख्यात आतंकवादी गतिविधियों और अल कायदा के संग लिंक जुड़ा होने के चलते संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267/1989/2253 के तहत स्थापित समिति की सूची में 2001 में शामिल किया गया था। लेकिन इसी समूह के प्रमुख आतंकी नेता, इसे वित्त मुहैया कराने वाले और आतंकी गतिविधियों के लिए उकसाने वाले मसूद अजहर के नाम को सूची में शामिल करने पर तकनीकी रोक लगा दी गई।

क्या होगा असर
अगर सुरक्षा परिषद द्वारा मसूद वैश्विक आतंकवादी घोषित किया जाता है तो वह कहीं यात्रा नहीं कर सकेगा। उसको किसी तरह की आर्थिक गतिविधि की भी इजाजत नहीं होगी और हथियारों की पहुंच भी उस तक नहीं हो सकेगी। इससे संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों द्वारा उसके वित्तीय स्रोत को खत्म करने में मदद मिलेगी। आर्थिक स्रोत को पूरी तरह जब्त किया जा सकेगा। सदस्य देशों को अपने यहां मौजूद किसी भी संपत्ति को जब्त करना होगा और संबंधित व्यक्ति या उसकी संस्थाओं के आर्थिक संसाधनों को ब्लॉक करना होगा। संयुक्त राष्ट्र से जुड़े किसी भी देश के लोग आतंकी अजहर को किसी तरह की मदद नहीं पहुंचा सकेंगे।

संयुक्त राष्ट्र की ताजा कवायद
संयुक्त राष्ट्र संघ ने हाल ही में ‘संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद विरोधी समन्वय समझौता’ (यूएन ग्लोबल काउंटर-टेररिज्म कोऑर्डिनेशन कॉम्पैक्ट) नामक एक नए ढांचे का अनावरण किया है, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से लड़ना तथा शान्ति एवं सुरक्षा, मानवीयतावादी, मानवाधिकार एवं सतत विकास के प्रयासों का समन्वय करना है। यह ढांचा एक समझौता है, जो इनके बीच किया गया है- संयुक्त राष्ट्र प्रमुख, 36 अंतरराष्ट्रीय संगठन, इंटरपोल और विश्व सीमा शुल्क संगठन। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की समस्या से जूझने की स्थिति में सदस्य देशों को बेहतर सहायता देना है। नए ढांचे में इस बात का ध्यान रखा गया है कि आतंकवाद से लड़ते समय अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों एवं कानूनों का ध्यान रखा जाए।

क्या कहता है वैश्विक आतंकवाद सूचकांक
सिडनी स्थित ‘इंस्टिट्यूट ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पीस’ नामक थिंकटैंक की ओर से 2018 के वैश्विक आतंकवाद सूचकांक (ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स) में यह बताया गया है कि हालांकि पूरे विश्व में आतंकवाद की घटनाओं से मरने वाले लोगों की संख्या में 27 फीसद की गिरावट आई है, लेकिन अभी भी 67 देशों में आतंकवाद पनप रहा है। आतंकवाद से प्रभावित देशों की यह संख्या पिछले 20 साल में दूसरी सबसे बड़ी संख्या है। आतंकवादियों द्वारा कृत्रिम बुद्धि (एआइ), ड्रोन एवं 3डी (त्रि-आयामी) मुद्रण जैसी नई-नई तकनीकों का भी दुरुपयोग हो रहा है।

क्या है ‘प्रतिबंध समिति’ का नोटिस
यूएनएससी के नोटिस में कहा गया है कि अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की तरफ से आतंकवादी मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी की सूची (प्रस्ताव 1267 आइएसआइएल) में शामिल करने और अलकायदा को प्रतिबंध सूची में शामिल करने का प्रस्ताव मिला है। सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य रूस ने प्रस्ताव का समर्थन का ऐलान किया है। चीन ने अगर विरोध नहीं किया तो यह प्रस्ताव पारित हो जाएगा।

मौलाना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने में केवल चीन ही है जो पाकिस्तान का पक्ष लेता है। चीन ऐसा इसलिए कर रहा है क्योंकि उसे आशंका है कि शिंजियांग प्रांत के इस्लामिक संगठन पाकिस्तान के आतंकवादियों से संपर्क कर सकते हैं। पाकिस्तान यह सुनिश्चित कर रहा है कि उसके आतंकवादी शिंजियांग में मुश्किलें नहीं
खड़ी करें।
– विक्रम सूद, रॉ के पूर्व प्रमुख