नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को सबसे ज्यादा डर किसी से है तो वो हैं शिकारी। लेकिन मोदी सरकार ने उनसे निपटने का रास्ता तलाश कर लिया है। इसके लिए 6 जर्मन शैफर्ड कुत्तों को ट्रेंड किया जा रहा है। हरियाणा के सेंटर में ITBP के जवान इन्हें इस तरह से प्रशिक्षित कर रहे हैं जिससे शिकारी चीतों से दूर रहेंगे।

ITBP के आईजी ईश्वर सिंह दूहन का कहना है कि कुत्तों में सूंघने की बेहतरीन क्षमता होती है। उनकी इस क्षमता के इस्तेमाल से शिकारियों की पहचान ज्यादा अच्छे से की जा सकती है। उनका कहना है कि जंगल में शिकारी सक्रिय रहते हैं, क्यों कि जानवरों को मारने के बाद उन्हें मुंहमांगी रकम मिलती है। इसी वजह से टाइगर, चीते, हाथी और गेंडे जैसे जानवरों को खतरा रहता है।

शिकारियों पर लगाम लगाने के लिए एक एनजीओ वर्ल्ड वाइल्ड लाईफ फंड WWE ने हरियाणा के भानू में 2008 में एक ट्रेनिंग सेंटर शुरू किया था। देश में ऐसे सेंटर केवल दो हैं जहां कुत्तों को ट्रेंड किया जाता है। भानू में फिलहाल 6 जर्मन शैफर्ड कुत्तों को ट्रेंड किया जा चुका है। इनके अलावा एक पांच माह की फीमेल डॉग भी है। इसका नाम ईलू रखा गया है। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद इसे भी 6 जर्मन शैफर्ड कुत्तों के दल में शामिल कराया जाएगा।

एक रिपोर्ट के मुताबिक सेंटर में तीन से पांच माह की उम्र के कुत्तों को भेजा जाता है। फिर वो सारी उम्र अपने ट्रेनर के साथ ही रहते हैं। उन्हें K9 स्कवायड के लिए तैयार किया जाता है। 12 घंटे रोजाना उन्हें दौड़ने भागने के अलावा विस्फोटकों, नारकोटिक्स और वाइल्ड लाईफ को लेकर कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है।

ध्यान रहे कि पीएम मोदी की पहल पर दक्षिण अफ्रीका से 8 चीते भारत में लाए गए हैं। इन सभी को कूनो पार्क में रखा गया है। लेकिन चिंता इस बात की भी है कि कहीं इनका शिकार न हो जाए। चीतों को बचाने के लिए सरकार ने एक रणनीति तैयार की है। इसमें चीता मित्रों के साथ जर्मन शैफर्ड भी शामिल हैं। भारत के लिए ये चीतें कितने अहम हैं इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि ये 70 साल बाद हमारी धरती पर देखने को मिले।