समलैंगिक मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ सीनियर वकीलों के रवैये से खीजे हुए दिखे। सीनियर एडवोकेट डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी को आज बहस करनी थी। सीजेआई ने उनको हिदायत देते हुए कहा कि जो बहस हम 30 मिनट में सुन सकते थे उसके लिए हमने आपको तीन दिन दे दिए। आज सारे याचिकाकर्ताओं को अपनी बात खत्म करनी होगी। हम दो सीनियर एडवोकेट्स को पहले ही सुन चुके हैं।
सीजेआई यहीं पर नहीं रुके। काम के महत्व को समझाने के लिए उन्होंने अपनी पत्नी का जिक्र किया। उनका कहना था कि अगर वो अपनी बैटर हाफ (पत्नी) को फोन करते तो वो कहतीं आप अपना काम करिए। तो डॉ. सिंघवी आप भी उसी अंदाज में अपनी बहस शुरू कर दीजिए। आज सुनवाई का तीसरा दिन था। सीजेआई को एडवोकेट अरुंधति काटजू ने आज की सुनवाई का पूरा ब्योरा दिया कि किस वकील को कितनी देर बहस करनी है।
सीजेआई बोले- 30 मिनट के काम में 3 दिन लग गए
अभिषेक मनु सिंघवी अपनी बहस शुरू कर ही रहे थे कि सीजेआई को बताया गया कि एक IA (Intervention Application) है। चंद्रचूड़ तल्ख लहजे में बोले- ऐसी दरखास्त तो 150 भी हो सकती हैं। बिलकुल नहीं। जो काम 30 मिनट का था उसमें ही 3 दिन लग रहे हैं। ये नहीं चलने दिया जाएगा।
अयोध्या मामले के अंदाज में होगी समलैंगिक विवाह की सुनवाई
सीजेआई ने सिंघवी को हिदायत देते हुए कहा कि अपनी बात को 45 मिनट में खत्म करिए। इसके बाद सीनियर एडवोकेट के विश्वनाथन और एम रामचंद्रन का मौका आएगा। उनको अपनी बात डेढ़ घंटे में खत्म करनी होगी। सीजेआई का कहना था कि इस मामले को वैसे ही सुना जाएगा जैसे अयोध्या मामले की सुनवाई की गई थी। अगले हफ्ते सोमवार, मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को सुनवाई की जाएगी।
सीजेआई बोले- अगले हफ्ते भी बैठेगी बेंच तो एसजी ने जताई आपत्ति
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ इसी अंदाज में सुनवाई की थी। उनका कहना था कि अगले हफ्ते के बाद में जस्टिस संजय किशन कौल को कहीं जाना है। अगर सारे जज सहमत होगे तो जुलाई में फिर से वो इस मामले की सुनवाई करना चाहेंगे। सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने आपत्ति जताते हुए कहा कि माई लार्ड अगले हफ्ते और भी मामले लगे हैं।
सीजेआई ने तुषार मेहता को दी नसीहत तो ढीले पड़े उनके तेवर
सीजेआई का कहना था कि ये हम तय करेंगे कि क्या मामला सुना जाए और कौन सा नहीं। सीजेआई का मेहता से कहना था कि आपने हमें कभी इस कोर्ट में कुछ गलत करते देखा है। तुषार मेहता का कहना था कि नो माई लार्ड। सीजेआई ने कहा कि संवैधानिक बेंच का गठन करते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि जो जज उस बेंच में हैं, उनके पास दूसरे केस लिस्ट न किए जाए। ये ही काम करने का तरीका है।