बिजनेसमैन गौतम अडानी पर अमेरिकी अधिकारियों ने भारत में सोलर एनर्जी कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 265 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने का आरोप लगाया है। अमेरिकी अधिकारियों ने अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और अन्य पर हासिल करने के लिए 2020 से 2024 के बीच भारतीय सरकारी अधिकारियों को 2000 करोड़ रुपये से अधिक की रिश्वत देने का आरोप लगाया। जिसके बाद कांग्रेस ने गौतम अडानी के खिलाफ अमेरिकी अभियोजकों द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर कहा कि इससे उसकी यह मांग सही साबित होती है कि अडानी ग्रुप से जुड़े पूरे प्रकरण की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का गठन होना चाहिए।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि तुरंत जेपीसी का गठन होना चाहिए। जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘‘न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय द्वारा गौतम अडानी और उनसे जुड़े अन्य लोगों पर गंभीर आरोप लगाना, उस मांग को सही ठहराता है जो कांग्रेस जनवरी 2023 से विभिन्न ‘मोदानी’ घोटालों की जेपीसी जांच के लिए कर रही है।’’

कांग्रेस नेता ने आगे लिखा, कांग्रेस ने ‘हम अडानी के हैं कौन’ (HAHK) श्रृंखला में इन घोटालों के विभिन्न पहलुओं और प्रधानमंत्री और उनके पसंदीदा बिजनेसमैन के बीच के घनिष्ठ संबंधों को उजागर करते हुए 100 सवाल पूछे थे और इन सवालों के जवाब आज तक नहीं दिए गए हैं।”

कांग्रेस ने की अडानी ग्रुप के लेन-देन की जेपीसी से जांच कराने की मांग

जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस अडानी ग्रुप के लेन-देन की जेपीसी से जांच कराने की अपनी मांग दोहराती है, जिसके कारण भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में एकाधिकार बढ़ रहा है, मुद्रास्फीति बढ़ रही है और विशेष रूप पड़ोस के देशों में विदेश नीति के लिए बड़ी चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं।

गौतम अडानी पर अमेरिका में लगे गंभीर आरोप, भारतीय सरकारी अधिकारियों को 2 हजार करोड़ की रिश्वत देने का है मामला

रमेश ने आगे लिखा, “अब न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय द्वारा गौतम अडानी, सागर अडानी और अन्य लोगों के खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोप से अडानी की आपराधिक गतिविधियों के बारे में और अधिक चौंकाने वाले विवरण सामने आए हैं। आरोप में कहा गया है कि उन्होंने 2020 और 2024 के बीच भारत सरकार के अधिकारियों को 25 करोड़ डॉलर से अधिक की रिश्वत दी। रिश्वत का भुगतान भारत सरकार के ‘सोलर पावर प्लांट्स’ की परियोजना का कॉन्ट्रैक्ट प्राप्त करने के लिए किया गया था, जिससे टैक्स के बाद के बाद दो अरब डॉलर (16,800 करोड़ रुपये) से अधिक मुनाफा होने का अनुमान था।’’

गौतम अडानी को पीएम का संरक्षण- कांग्रेस

कांग्रेस नेता के अनुसार, “इसमें आरोप लगाया गया है कि कई मौकों पर गौतम अडानी ने रिश्वत की स्कीम को आगे बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत रूप से भारत सरकार के एक अधिकारी से मुलाकात की और इसका ‘इलेक्ट्रॉनिक’ और ‘सेलुलर फोन’ सबूत होने का दावा किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि ये सब प्रधानमंत्री के स्पष्ट संरक्षण और कुछ नहीं होगा वाली सोच के साथ की गई धोखाधड़ी तथा अपराधों के एक लंबे रिकॉर्ड के अनुरूप है।

रमेश ने कहा, ‘‘तथ्य यह है कि अडानी की उचित जांच करने के लिए विदेशी अधिकार क्षेत्र का सहारा लिया गया है, इससे पता चलता है कि कैसे भारतीय संस्थानों पर भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) ने कब्जा कर लिया है और कैसे लालची एवं सत्ता के भूखे नेताओं ने दशकों के संस्थागत विकास को बर्बाद कर दिया है।’’ उन्होंने कहा कि इस खुलासे के बाद सेबी की नाकामी भी एक बार फिर से सामने आती है। रमेश ने इस बात पर जोर दिया, ‘‘आगे का सही रास्ता यही है कि अडानी महाघोटाले में प्रतिभूति कानून के उल्लंघनों की जांच को पूरा करने के लिए एक नए और विश्वसनीय सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) प्रमुख को नियुक्त किया जाए और इसकी पूरी जांच के लिए तुरंत एक जेपीसी का गठन किया जाए।’’

(भाषा के इनपुट के साथ)