देशभर में गांधी जयंती मनाई जा रही है और महात्मा गांधी को लोग याद कर रहे हैं। महात्मा गांधी को लेकर ऐसी कई कहानियां हैं जो काफी रोचक है। इसी क्रम में एक और कहानी है जो महात्मा गांधी के साथ 1915 में कुंभ मेले में जाते वक्त घटी थी। दरअसल बापू ने कहावत सुनी थी कि मियां और महादेव कभी एक साथ नहीं आ सकते और इस कहावत को सुनने के बाद बापू काफी सोच में पड़ गए थे।
बापू सोचते थे कि ऐसा कैसे हो सकता है कि हिंदू और मुस्लिम कभी एक साथ नहीं आ सकते, क्योंकि बापू को पहली नौकरी अफ्रीका में एक मुस्लिम ने ही दी थी। वहीं बापू के कई सहयोगी मुस्लिम थे। महात्मा गांधी (बापू) को जब पहली बार टू नेशन थ्योरी की बात बताई गई थी, तो उन्होंने तुरंत नकार दिया था और कहा था कि हिंदू और मुसलमान दोनों एक साथ रह सकते हैं।
सहारनपुर में क्या हुआ जिससे बापू परेशान हो गए
दरअसल सन 1915 में महात्मा गांधी ट्रेन से हरिद्वार में कुंभ मेले में हिस्सा लेने जा रहे थे। इस दौरान उनकी ट्रेन सहारनपुर स्टेशन पर रुकती है। यहां बापू देखते हैं कि कई श्रद्धालु मेले में जा रहे होते हैं, लेकिन उसमें से कईयों को काफी तेज प्यास लगी होती है। इस दौरान एक घटना घटी कि कुछ लोग पानी पिलाने के लिए आते हैं, लेकिन श्रद्धालु पानी पीने से मना कर देते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पानी पिलाने वाले लोग मुस्लिम थे। बापू को यह सब देखकर काफी कष्ट हुआ और बापू इसको लेकर काफी दिनों तक परेशान रहें।
बापू सोचते थे कि अगर कोई हिंदू व्यक्ति बीमार होता है और दवा देने वाला डॉक्टर मुस्लिम होता है तो दवाई तो ले लेते हैं, क्योंकि तब जान पर बात आती है। लेकिन पानी पीने से इसलिए मना कर देते हैं क्योंकि पानी पिलाने वाले लोग मुसलमान थे। बापू इस बात को लेकर कई दिनों तक परेशान रहे थे। बापू शुरू से कहा करते थे कि देश में हिंदू और मुसलमान की एकता के बगैर यह देश कभी आजाद नहीं हो सकता।
जब महात्मा गांधी दांडी मार्च निकाल रहे थे तब उन्होंने तय किया था कि उनके गिरफ्तार होने के बाद जो आदमी उस मार्च का नेतृत्व करेगा वह मोहम्मद अब्बास तैयब जी थे। महात्मा गांधी को समझ में नहीं आता था कि मियां और महादेव एक नहीं हो सकते। मुहावरा क्यों बना, कब बना और कैसे बना। गांधी मानते थे कि अगर धर्म ही देश को बनाने का आधार है तो बौद्ध, जैन और सिखों ने कौन सा गुनाह किया है?