Gaganyaan Mission: चंद्रयान-3 के सफल लॉन्च के बाद अब इसरो (ISRO) गगनयान (Gaganyaan) मिशन की तैयारी में जुट गया है। इस मिशन के लिए इसरो ने गुरुवार को सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन प्रणाली का सफल परीक्षण किया। 440 न्यूटन थ्रस्ट वाले पांच लिक्विड अपोजी मोटर (एलएएम) और 100 न्यूटन थ्रस्ट वाले 16 रिएक्शन नियंत्रण प्रणाली (आरसीएस) थ्रस्टर्स का सफल परीक्षण किया है। इसरो गगणयान मिशन में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को तीन दिन के लिए अंतरिक्ष में भेजेगा और फिर उन्हें भारत की समुद्री सीमा में सुरक्षित उतारने की कोशिश करेगा।

क्या है गगनयान मिशन?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2018 को लाल किला से मानवरहित अंतरिक्ष मिशन की घोषणा की थी। इसके बाद से ही इसरो ने गगणयान मिशन पर काम तेजी से शुरू कर दिया। इस मिशन के तहत इसरो तीन एस्ट्रोनॉट (अंतरिक्ष यात्री) को पृथ्वी के लोअर ऑर्बिट में भेजने की कोशिश करेगा। गगनयान मिशन तीन दिन तक पृथ्वी की कक्षा का चक्कर लगाएगा और इसकी समुद्र में सुरक्षित लैंडिंग की जाएगी। तीन सदस्यों के एक दल को तीन दिन तक पृथ्वी की 400 किमी की कक्षा में भेजा जाएगा। गगनयान मिशन को बनाने में इसरो ने डीआरडीओ और हिंदुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड से भी मदद ली है। इसरो सफलपूर्वक एस्ट्रोनॉट को अंतरिक्ष में भजने में कामयाब हो गया तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा देश बन जायेगा जो मानव को अंतरिक्ष में भेजेगा।

बाहुबली रॉकेट एलवीएम-3 से लॉन्च होगा गगणयान?

गगनयान को इसरो के बाहुबली रॉकेट लॉन्च व्हीकल मार्क-III से लॉन्च किया जाएगा। इसे बाहुबली रॉकेट भी कहा जाता है। अक्टूबर 2022 में एलवीएम-3 रॉकेट ने 36 सैटेलाइट को लेकर उड़ान भरी थी। इस मिशन के बाद से ही एलवीएम-3 को बाहुबली रॉकेट के नाम से जाना जाने लगा। यह इसरो द्वारा बनाया गया सबसे ताकतवर रॉकेट लॉन्चर है। यह रॉकेट तीन चरणों में काम करता है। इसके पहले स्टेज में थ्रस्ट के लिए दो सॉलिड फ्यूल बूस्टर लगाए गए है। वहीं कोर थ्रस्ट के लिए एक लिक्विड बूस्टर लगाया गया है। चंद्रयान-3 को भी इसी रॉकेट से लॉन्च किया गया है। गगणयान मिशन के लिए एलवीएम-3 रॉकेट में बदलाव कर उसको मानव रहित बनाया गया है। एलवीएम-3 के ऊपरी भाग में क्रू एस्केप सिस्टम (Crew Escape System) लगाया गया है ताकि किसी भी आपातकालीन परिस्थिति में एस्ट्रोनॉट को बचाया जा सके।

कैसा होगा गगनयान का ऑर्बिटल मॉड्यूल?

गगनयान के ऑर्बिटल मॉड्यूल के दो हिस्से होंगे। इसके ऊपरी हिस्से में क्रू मेंबर रहेंगे जिसे क्रू मॉड्यूल का नाम दिया गया है। वहीं क्रू मॉड्यूल के पीछे वाला हिस्सा सर्विस मॉड्यूल होगा। सर्विस मॉड्यूल का मुख्य काम क्रू मॉड्यूल को जरूरी सहायता पहुंचना है। सर्विस मॉड्यूल के अंदर प्रोपल्शन सिस्टम और पॉवर सिस्टम लगाया गया है। इसरो ने बताया कि ऑर्बिट मॉड्यूल को बनाने में हर बारीकी का ध्यान रखा गया है खासकर इंसानी सुरक्षा पर खासा ध्यान दिया गया है। इसरो ने बताया कि क्रू मॉड्यूल के अंदर पृथ्वी जैसा वातावरण रखा गया है। क्रू मॉड्यूल के अंदर की दीवार को प्रेशर सहने के लिए मेटल का प्रयोग कर बनाया गया है। वहीं क्रू मॉड्यूल की बाहरी दीवार को बनाने के लिए थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है। क्रू मॉड्यूल के अंदर लाइफ सपोर्ट सिस्टम और इंसान के लिए जरूरी सामान रखा गया है ताकि आपातकालीन परिस्थिति में उसका प्रयोग कर एस्ट्रोनॉट को बचाया जा सके।

10 हजार करोड़ का है पूरा प्रोजेक्ट

गगणयान मिशन पर करीब 10 हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा। अभी तक इस मिशन पर 3 हजार करोड़ रुपए खर्च किये जा चुके है। अंतरिक्ष में जाने वाले भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की ट्रेनिंग रूस की अंतरिक्ष एजेंसी ग्लावकास्मोस में की जाएगी। गगनयान मिशन का मकसद एक इंडियन लांच व्‍हीकल की मदद से इंसानों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजने का है और साथ ही उन्‍हें वापस सुरक्षित पृथ्‍वी पर लाना है। इस तरह देश स्‍पेस सेक्‍टर में अपनी क्षमता को प्रदर्शित करना चाहता है। इसरो अगले साल तक मिशन को लॉन्च करने की तैयारी में है।