S Jaishankar: भारत में 9 और 10 सितंबर को होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग शामिल नहीं हो रहे हैं। इसे लेकर तमाम अटकलें लगाई जा रही हैं। इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान सामने आया है। उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि कई बार ऐसा होता है कि कुछ कारणों की वजह से प्रमुख नहीं आ पाते हैं उनकी जगह उस देश के प्रतिनिधि अपनी बात रखते हैं।

‘जी-20 में कौन आ रहा, ये मुद्दा नहीं’

एस जयशंकर ने कहा कि जी-20 सम्मेलन में कौन आ रहा है, कौन नहीं आ रहा है ये मुद्दा नहीं है। उन्होंने कहा कि कोई भी देश अपनी स्थिति को दुनिया के सामने रखने की कोशिश करेगा। मुझे लगता है कि इंतजार करना चाहिए और देखना चाहिए कि वास्तव में बातचीत में क्या होता है। एस जयशंकर ने कहा कि मुझे लगता है कि जी-20 में अलग-अलग समय पर कुछ ऐसे राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री रहे हैं जिन्होंने कुछ कारणवश न आने का फैसला किया है लेकिन उस अवसर पर जो भी उस देश का प्रतिनिधि होता है, वह अपने देश और उसकी स्थिति को सामने रखता है। मुझे लगता है कि हर कोई बहुत गंभीरता के साथ आ रहा है।

किन मुद्दों पर होगी चर्चा?

एस जयशंकर ने कहा कि ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर दुनिया गौर कर रही है और इसका बोझ ग्लोबल साउथ और विकासशील देशों पर है। हमारे लिए एक बहुत महत्वपूर्ण संदेश ग्लोबल साउथ पर ध्यान केंद्रित करना है। लेकिन इसका एक बड़ा संदर्भ भी है। मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि लोगों को यह पता चले कि क्या हो रहा है और अभी जी20 के बारे में मेरा मानना है कि इसमें बहुत सारे मुद्दे हैं। कुछ दीर्घकालिक संरचनात्मक मुद्दे हैं, और कुछ अधिक उभरने वाले हैं।

विपक्ष को भी दिया जवाब

एस जयशंकर ने जी-20 के इंतजाम को लेकर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि अगर किसी को लगता है कि वे लुटियंस दिल्ली या विज्ञान भवन में अधिक सुविधाजनक महसूस कर रहे थे तो यह उनका विशेषाधिकार था। वहीं उनकी दुनिया थी और तब शिखर सम्मेलन की बैठकें ऐसे वक्त हुईं जहां देश का प्रभाव संभवतः विज्ञान भवन में या उसके 2 किलोमीटर (लुटियंस दिल्ली) तक में रहा हो। एस जयशंकर ने कहा कि यह एक अलग युग है, यह अलग सरकार है और यह एक अलग विचार प्रक्रिया है।