हिंदुस्तान की राजधानी दिल्ली में दुनियाभर के नेता कल सुबह से वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए G20 शिखर सम्मेलन के तहत जमा होंगे। G20 की अध्यक्षता कर रहे हमारे देश के लिए यह दो दिन काफी ऐतिहासिक होने जा रहे हैं। लेकिन क्या ऐसा पहली बार है जब भारत किसी ऐसे अंतराष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है? नहीं, भारत ने पहले भी कई ऐसे बड़े और अहम कार्यक्रमों की ज़िम्मेदारी संभाली है।
भारत के इतिहास और विकास की राह में ऐसे कई बहुपक्षीय सम्मेलनों, आयोजनों और शिखर सम्मेलनों की मेजबानी दर्ज है।
हम याद कर सकते हैं 1956 का यूनेस्को सम्मेलन, 1982 के एशियाई खेल, मार्च 1983 का प्रसिद्ध एनएएम शिखर सम्मेलन, 2010 के राष्ट्रमंडल खेल और 2015 में भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन। हालांकि G20-2023 का पैमाना इन आयोजनों से काफी बड़ा है, और इसका सीधा मतलब दुनिया की बड़ी ताकतों के एक साथ जुटने से लगाया जा सकता है।
P-5 देशों के नेताओं का एक साथ जुटना
पहली बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी स्थायी सदस्य (जिन्हें पी-5 देश कहा जाता है) एक ही समय में नई दिल्ली में होंगे। हालांकि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेने का फैसला किया है लेकिन उनकी ओर से आए प्रतिनिधि इस बैठक में हिस्सा लेंगे।
भारत के लिए क्या हैं पांच महत्वपूर्ण बातें
1. बंटी हुई दुनिया को एक मंच पर लाना और सहमति बनाना
G20 शिखर सम्मलेन का एक खास मकसद उन देशों को एक मंच पर लाना है जिन्हें विकासशील देश कहा जाता है। ऐसे में चुनौती अलग-अलग मुद्दों को लेकर रही खींचतान से जुड़ी भी है। रूस-यूक्रेन संघर्ष ने G20 को काफी प्राभावित किया है और भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती इसे पाटना और सभी देशों को एक करना है। भारत यह कोशिश करेगा की सभी देश एक मत के साथ आखिर में प्रस्ताव पेश करें और कुछ भी गड़बड़ ना हो।
2..G20 के प्रभाव को हर राज्य तक पहुंचाना
भारत ने G20 की अध्यक्षता करते हुए राज्य तक इस शिखर सम्मलेन के परिचय को पहुंचाया है। जबकि ऐसा पहले किसी देश ने नहीं किया था। इंडोनेशिया ने लगभग 25 बैठकें आयोजित करके यही अप्रोच तय की थी लेकिन भारत की 50 से अधिक स्थानों पर 200 से अधिक बैठकों ने आकार और पैमाने में एक नया खाका तैयार किया है। हालांकि कुछ आलोचकों का मानना है कि ऐसा लोकसभा चुनाव 2024 को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
3.G20 के अगले अध्यक्षों के लिए सेट हो मुद्दे
इस शिखर सम्मेलन के दौरान अध्यक्षता करते हुए भारत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा का पैमाना सेट कर रहा है। इसमें डिजिटल मुद्दे, जेंडर से जुड़े मुद्दे,डवलपमेंट, बहुपक्षीय सुधार, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य और भविष्य की महामारी और टेक्नोलोजी से जुड़े मुद्दों पर चर्चा संभव है। बैठक में शामिल हो रहे नेताओं को इन मुद्दों पर बेहतर फैसले करने होंगे ताकि ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका, जिन्हें अगली मेजबानी करनी है, उनके लिए आसानी पैदा हो।
4.अविकसित दुनिया के नेतृत्व में भूमिका
भारत ने G20 की अध्यक्षता के दौरान विकासशील और अविकसित दुनिया का नेतृत्व करने का बीड़ा उठाया है। कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध से लगे आर्थिक झटकों ने खाद्य सुरक्षा के मुद्दे और ईंधन और उर्वरक की कीमतों में संकट पैदा कर दिया है। इससे कई देश बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। भारत की यह कोशिश है कि ऐसे देशों और खासकर अफ्रीका को लेकर बेहतर फैसले हों।
5.चीन एक चुनौती
भारत के लिए सबसे बड़ी मुश्किल चीन ने खड़ी की है। सीमा पर चल रहे गतिरोध को लेकर चीन के साथ भारत के तनावपूर्ण संबंधों और शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी गैर-मौजूदगी एक मुश्किल का संकेत देती है। हालांकि दोनों देश सीमा विवाद के बावजूद संयुक्त राष्ट्र, ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ), जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी) और यहां तक कि G20 में भी साथ दिखाई दिए हैं। लेकिन फिलहाल सबकुछ ठीक नहीं दिखाई देता है।