अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में सैकड़ों शोधार्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है। आने वाले दिनों में इन पर गाज गिर सकती है। इसमें तीन साल से ज्यादा समय से काम कर रहे शोधार्थियों की सेवाएं तत्काल प्रभाव से खत्म की जा सकती हैं।
बताया गया कि एम्स में शोध करने वालों के लिए नए दिशानिर्देश तैयार किए जा रहे हैं। इसी लिए इन शोधार्थियों के चयन की प्रक्रिया फिलहाल रोक दी गई है। इसके खिलाफ ‘सोसाइटी आफ यंग साइंटिस्ट्स- आल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज’ ने मोर्चा खोल दिया है।
सोसाइटी के तमाम पदाधिकारियों का कहना है कि चिकित्सा से जुड़े शोध में लंबा समय लगता है। जिसमें लंबे समय से लोग काम कर रहे हैं। जबकि एम्स के अफसर कह रहे हैं कि अब नए दिशा निर्देश बन रहे हैं। उसके आधार पर ही चयन प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी। अभी तक एम्स में लोग शोध करते हुए निश्चिंतता से काम कर रहे थे।
हाइकोर्ट ने यह प्रावधान कर रखा था कि अगर कोई शोधार्थी 15 साल काम कर चुका है तो उसे स्थाई किया जाना चाहिए, लेकिन जानकारों ने बताया कि अब सरकार की कोशिश है कि शोधार्थी इस स्तर तक काम न करने पाएं कि उन्हें नियमित करना पड़े। सोसाइटी के पदाधिकारियों ने बताया कि अनुसंधान कर्मचारियों की भर्ती चयन सीमित करने के मामले में विभिन्न स्रोतों के माध्यम से मौखिक रूप से सूचित किया गया।
यह हमारी धारणा में लाया गया है कि एम्स नई दिल्ली में किसी भी व्यक्ति द्वारा शामिल होने वाली लगातार परियोजनाओं की अधिकतम संख्या को सीमित करने वाला एक नियम अगले कुछ दिनों में पेश किया जा सकता है, लेकिन इस तरह के निर्णय को न केवल इस संस्थान के शोधकर्ताओं द्वारा बल्कि गैर-शोध परियोजना कर्मचारियों द्वारा भी किसी भी परिस्थिति में सकारात्मक रूप से स्वीकार नहीं किया जाएगा।
पदाधिकारियों ने बताया कि हमारी चिंता की वजह यह है कि वैज्ञानिक वातावरण पहले ही अनुकूल नहीं रह गया है। जिससे मेधावी छात्र यहां आकर सुस्त, निस्तेज व्यक्तियों में बदल जाते हैं, जो संघर्ष करते हुए कुछ ही महीनों में मात्र जीवित रहने के लिए संघर्ष करने लगते हैं।
दुनिया में सबसे ऊंची डिग्री रखने के बावजूद, हमें निरंतर शोषण और अनादर और लगातार अपंग वित्तीय स्थिति के साथ जीना पड़ता है। एक प्रोजेक्ट से दूसरे प्रोजेक्ट में फेरबदल किया जाता है ताकि शोध को बढ़ाने के लिए कुछ पैसों का जुगाड़ हो सके। केवल इसलिए क्योंकि हमने उच्च-भुगतान वाले करिअर नहीं अपनाएं और मानवता की भलाई के लिए ज्ञान उत्पन्न करने में अपना सर्वोत्तम वर्ष समर्पित करने का फैसला लिए।
वैज्ञानिक वातावरण में सुधार करने के बजाय हम पाते हैं कि वे मामलों को बदतर बनाने के लिए नई नीतियां लेकर आ रहे हैं। एम्स ने 22 जून को जारी आदेश में कहा है कि परियोजना शोधार्थियों के तय संबंधी दिशानिर्देशों की कांपीटेंट अथारिटी की ओर से समीक्षा की जा रही है। इसलिए अगले आदेश तक चयन प्रक्रिया स्थगित की गई है।