पिछले दो महीने से जारी एफटीआईआई गतिरोध जल्द समाप्त होने के आसार नहीं दिख रहे क्योंकि सरकार ने आज गजेंद्र चौहान की अध्यक्ष पद पर नियुक्ति को रद्द करने को राजी नहीं होने के संकेत दिये। इसके साथ ही सरकार ने यह भी संकेत दिया कि आंदोलनकारी छात्रों के साथ आगे और वार्ता विचाराधीन नहीं है।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सरकार चौहान की नियुक्ति पर पीछे हटने को राजी नहीं और शीर्ष पदाधिकारियों और पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) के हड़ताली छात्रों के साथ निकट भविष्य में किसी और बैठक की संभावना नहीं है।
सूत्रों ने कहा कि छात्रों और सरकार के बीच मध्यस्थ के रूप में काम कर रहे बॉलीवुड के दो निर्देशक जानकारी के अनुसार आंदोलनकारियों का समर्थन करने से पीछे हट गए हैं। इसलिए आगे और कोई बातचीत संभव नहीं।
छात्रों के प्रतिनिधि पहले ही सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली से दो बार मुलाकात कर चुके हैं लेकिन कोई भी ठोस समाधान सामने नहीं आया है और छात्र यह आरोप लगाते हुए मीडिया के पास गए थे कि सरकार संस्थान का निजीकरण करने का प्रयास कर रही है।
सूत्रों ने कहा कि एफटीआईआई के पूर्व के रिकार्ड के मद्देनजर सरकार ने यह भी प्रस्ताव किया कि संस्थान को चलाने के लिए बॉलीवुड को सौंप दिया जाए, जिसे मंत्रालय से वित्तीय सहयोग दिया जाएगा।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एफटीआईआई में श्याम बेनेगल और महेश भट्ट जैसे प्रख्यात अध्यक्षों के कार्यकाल के दौरान बार-बार हुई हड़तालों को रेखांकित किया है। एफटीआईआई में पिछले कई वर्षों से दीक्षांत समारोह नहीं हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसे ही एक कार्यक्रम में अभिनेता दिलीप कुमार की ‘‘हूटिंग’’ की गई थी।
सूत्रों ने कहा कि ऐसे कुछ छात्र हैं जिन्होंने तीन वर्ष का कोर्स पूरा करने में करीब एक दशक का समय लगाया और वे लंबे समय से परिसर में ही रह रहे हैं और ऐेसे ही लोग ऐसे प्रदर्शनों को भड़का रहे हैं।
हड़ताली छात्र चौहान के खिलाफ अपना प्रदर्शन कल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली लेकर आये। यह तब हुआ जब कुछ दिनों पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने संस्थान के छात्रों को संबोधित किया था। सरकार ने गांधी पर छात्रों की हड़ताल को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया है।
वहीं चौहान की नियुक्ति का विरोध करने वाले एफटीआईआई के छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की।
एफटीआईआई छात्र संघ के सचिव विकास उर्स ने कहा, ‘‘केजरीवाल के साथ हमारी मुलाकात संक्षिप्त थी क्योंकि वह मुद्दे के बारे में जानना चाहते थे। हमने उन्हें पूरी नियुक्ति गतिरोध के बारे में बताया और हमें उम्मीद है कि वह मुद्दे को सही तरीके से आगे ले जाएंगे। उन्होंने हमें कोई आश्वासन नहीं दिया है क्योंकि हमारी यह उनके साथ पहली मुलाकात थी।’’
