1966 के बाद से मुंबई के शिवाजी पार्क में बाला साहेब ठाकरे जब दहाड़ते थे तो सारा सूबा उन्हें सुनता था। उनका भाषण देश के अन्य हिस्सों में भी चर्चा का विषय बनता था। माना जाता था कि दशहरा रैली में बाला साहेब की कही बात शिवसैनिकों के लिए एक टॉस्क की तरह है। कोरोना की वजह से इस बार दो साल बाद शिवाजी पार्क में दशहरा रैली हुई तो मंजर बदला बदला सा था। 56 साल बाद मुंबई में शिवसेना के दो धड़े खुद को असली बता दशहरे पर रैली कर रहे थे। रैली उद्धव की भी जोरदार थी तो शिंदे की भी। लेकिन आखिर में बाजी एकनाथ शिंदे के हाथ लगी।

शिंदे की BKC के जिस ग्राउंड पर रैली हुई वो दादर में हैय़ ये जगह उद्धव के निजी आवास मातोश्री के बेहद नजदीक है। लेकिन रैली हुई तो लगा कि शिंदे ने मातोश्री में सेंध लगा दी। रैली में उनके साथ मंच पर उद्धव के भाई जयदेव मौजूद थे। स्मिता और निहार भी वहां दिखे। लेकिन भौचक करने वाली बात थी कि बाला साहेब की 27 सालों तक सेवा करने वाले चंपा सिंह थापा भी शिंदे के स्टेज पर दिखे। जले पर नमक छिड़कने वाली स्थिति तब पैदा हुई जब शिंदे बाला साहेब की चेयर को नमन करते दिखे। इस चेयर का इस्तेमाल थाणे की रैली में बाला साहेब ने किया था।

जानकार कहते हैं कि असली बनाम नकली की लड़ाई में फिलहाल बाजी शिंदे के हाथ लगी। उन्होंने जयदेव, स्मिता, निहार और थापा के रूप में जो अस्त्र छिपाकर रखे थे वो असर कर रहे हैं। पहले से ही कमजोर चल रहे उद्धव के सामने समर्थकों को ये समझाने की दुविधा भी होगी कि परिवार ही उनके खिलाफ क्यों जा रहा है।

माता पिता की 8 संतानों में से 1 थे बाला साहेब

हालांकि ठाकरे परिवार में उठापटक कोई नई बात नहीं है। प्रबोधंकर ठाकरे और रमाबाई की 8 संतानों में से एक बाल ठाकरे के परिवार में विवाद आम चीज हैं। बाल ठाकरे के तीन बेटे थे। उद्धव, बिंदूमाधव और जयदेव। उद्धव शिवसेना पर अपने आधिपत्य को बनाए रखने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। जबकि जयदेव पहले ही परिवार से अलग राह बना चुके हैं। बिंदूमाधव की एक सड़क हादसे में मौत हो चुकी है। निहार उनके ही बेटे हैं। वो पेशे से वकील हैं और पहले ही शिंदे का समर्थन कर चुके हैं।

जयदेव ने पहली शादी जयश्री केलकर से की। तलाक के बाद उनका विवाह स्मिता ठाकरे से हुआ। लेकिन वो उनसे भी अलग हो गए। अब वो अनुराधा से विवाह कर चुके हैं। स्मिता से उनके दो बेटे राहुल और एश्वर्या हैं। दूसरे बेटे को लेकर वो पहले ही कह चुके हैं कि वो उनका नहीं हैं। जयदेव शरू से ही विवादों में रहे। खुद बाला साहेब ने भी सामना को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि जयदेव एक ट्रेजिडी है। जयदेव अपने ही परिवार को अदालत तक ले जा चुके हैं। उद्धव से उनके संबंध सामान्य नहीं हैं।

राज ठाकरे पहले से उद्धव के खिलाफ

लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती। बाला साहेब के छोटे भाई श्रीकांत ठाकरे का परिवार भी उद्धव से खफा है। श्रीकांत के बेटे ही राज ठाकरे हैं। शिंदे सरकार बनी तो राज ने खुलकर देवेंद फडणवीस की तारीफ की। वो उद्धव को माटियामेट करने पर आमादा हैं। कोई बड़ी बात नहीं जो वो बीएमसी चुनाव के दौरान शिंदे के साथ खड़े दिखाई दें। जानकार कहते हैं कि परिवार के तकरीबन सारे सदस्य उद्धव के खिलाफ हैं। शिंदे ने कुछ को दशहरा रैली के मंच पर खड़ा करके दिखाया कि असली वो हैं।