हालांकि, भारत में इनमें से केवल दो खगोलीय घटनाएं देखी जा सकेंगी। उज्जैन की प्रतिष्ठित शासकीय जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक राजेंद्र प्रकाश गुप्त के मुताबिक इस साल ग्रहणों का सिलसिला 20 अप्रैल को लगने वाले पूर्ण सूर्यग्रहण से शुरू होगा। नववर्ष का यह पहला ग्रहण भारत में नहीं देखा जा सकेगा।

गुप्त ने बताया कि पांच और छह मई की दरम्यानी रात लगने वाला उपच्छाया चंद्रग्रहण भारत में देखा जा सकेगा। उपच्छाया चंद्रग्रहण उस समय लगता है, जब पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा चंद्रमा पेनुम्ब्रा (धरती की परछाई के हल्का भाग) से होकर गुजरता है। इस समय चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी आंशिक तौर पर कटी प्रतीत होती है और ग्रहण को चंद्रमा पर पड़ने वाली धुंधली परछाई के रूप में देखा जा सकता है।

उपच्छाया चंद्रग्रहण के वक्त पृथ्वीवासियों को पूर्णिमा का चंद्रमा पूरा तो दिखाई देता है, लेकिन उसकी चमक कहीं खोई-खोई नजर आती है। गुप्त ने बताया कि साल के इकलौते वलयाकार सूर्यग्रहण के नजारे से देश के खगोलप्रेमी वंचित रहेंगे क्योंकि यह घटना भारतीय मानक समय के मुताबिक 14 और 15 अक्तूबर की दरम्यानी रात में होगी। यह सूर्य ग्रहण पश्चिमी अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, अटलांटिका और आर्कटिका में दिखाई देगा।

28 और 29 अक्तूबर की दरम्यानी रात लगने वाला आंशिक चंद्रग्रहण देश में देखा जा सकेगा और इस खगोलीय घटना के वक्त चंद्रमा का 12.6 फीसद हिस्सा ढका नजर आएगा। हाल ही में समाप्त वर्ष 2022 दो पूर्ण चंद्रग्रहणों और दो आंशिक सूर्यग्रहणों का गवाह बना था।