दिल्ली की एक अदालत ने अलकायदा के चार आतंकियों में से हर एक को सात साल पांच महीने की सजा सुनाई। खास बात है कि दोषी पहले ही करीब सात साल तीन महीने जेल में बिता चुके हैं। उनके एडवोकेट ने अदालत से ये बात कही भी। उनका कहना था कि चारों दोषी सात साल तीन माह से ज्यादा की सजा पहले ही काट चुके हैं। लिहाजा उनकी जेल में बिताए समय को सजा का हिस्सा माना जाए। हालांकि अदालत ने इस पर कोई फौरी टिप्पणी अपने फैसले में नहीं की। लेकिन कानूनी मामलों के जानकार कहते हैं कि सभी आतंकी दो माह के भीतर जेल से बाहर आ सकते हैं, क्योंकि ट्रायल के दौरान जेल में बिताई समयावधि को कोर्ट सजा का हिस्सा मानता है।

अदालत ने मंगलवार को आतंकी संगठन अलकायदा की शाखा ‘अल-कायदा इन इंडियन सबकॉन्टीनेंट’ (एक्यूआईएस) के चार सदस्यों को सात साल से अधिक जेल की सजा सुनाई। उन पर देशभर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रचने और संगठन के लिए सदस्यों की भर्ती करने का आरोप था। अदालत ने सुनवाई के बाद सभी को दोषी करार दिया था। आतंकियों के अधिवक्ता अकरम खान ने कहा कि स्पेशल जज संजय खंगवाल ने मौलाना मोहम्मद अब्दुल रहमान कासमी, मोहम्मद आसिफ, जफर मसूद और अब्दुल सामी को सात साल पांच महीने कारावास की सजा सुनाई। अधिवक्ता ने कहा कि इस अवधि को सजा का हिस्सा माना जाएगा।

इन मामलों में आजीवन कारावास की अधिकतम सजा का प्रावधान है। इसके पहले न्यायाधीश ने शुक्रवार को एक्यूआईएस के दो अन्य सदस्यों सैयद मोहम्मद जिशान अली और सबील अहमद को इस मामले में रिहा कर दिया था।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने आरोप लगाया था कि कासमी उत्तर प्रदेश में एक मदरसा चलाता था। इसमें विद्याथियों को दाखिला किया जाता था। वह उन्हें आतंकवादी गतिविधियों के लिए तैयार करने का काम करता था। पुलिस का कहना है कि मसूद युवाओं में एक्यूआईएस के आतंकी एजेंडे का प्रचार प्रसार कर रहा था। वो उन्हें आतंकी संगठन में शामिल होने के लिए उकसाता था।