जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) को बुधवार (25 दिसंबर, 2019) को तब झटका लगा जब उसके विधायक एवं वरिष्ठ नेता राम कुमार गौतम ने पार्टी उपाध्यक्ष पद से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि ‘‘पार्टी जिस तरह से चल रही है वह उससे निराश हैं।’’ गौतम (73) ने कहा कि जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला को यह नहीं भूलना चाहिए कि वह अपनी पार्टी के विधायकों के समर्थन से उप मुख्यमंत्री बने हैं। गौतम ने नारनौंद से फोन पर कहा, ‘‘पार्टी में कुछ भी सही नहीं चल रहा है। पार्टी जिस तरह से चल रही है उससे मैं निराश हूं और मैंने पार्टी उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। मुझे पार्टी का अखिल भारतीय उपाध्यक्ष बनाया गया जबकि पार्टी का हरियाणा में एक सीमित क्षेत्र में प्रभाव है।’’
उन्होंने कहा कि मैं निराशा हूं, क्योंकि उन्होंने पार्टी के अधिकतर नेताओं की बिना जानकारी के एंबिएंस मॉल में भाजपा संग गठबंधन कर लिया। जब हमें इसकी जानकारी मिली तो बहुत दुख हुआ। लोग आहत हैं और सारे विधायक इससे बहुत निराश हैं। दुष्यंत ने ज्यादातर पद भी अपने पास रख लिए। बाकी विधायकों के बारे में वो क्या कहेंगे? क्यों उन्हें लोगों ने वोट नहीं दिए। यह बहुत बड़ा झटका है।
इससे पहले गौतम ने हिसार जिले के नारनौंद स्थित अपने विधानसभा क्षेत्र में मीडियार्किमयों को संबोधित करते हुए पार्टी पद से अपने इस्तीफे के बारे में बात की। इसी बीच गौतम के पार्टी उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा को लेकर पूछे गए सवाल पर दुष्यंत ने फरीदाबाद में कहा, ‘मुझे इसके बारे में मीडिया के जरिए जानकारी हुई है। हम यह पता लगाएंगे कि उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया है।’ गौतम ने किसी का नाम लिए बिना आरोप लगाया कि जो लोग पार्टी के मामले देख रहे हैं उन्होंने हाल में एक प्रमुख नेता से हाथ मिला लिया है जिसके खिलाफ जेजेपी ने चुनाव लड़ा था। जेजेपी ने गत अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनाव में गौतम को भाजपा के कैप्टन अभिमन्यु के खिलाफ उतारा था।
उन्होंने यद्यपि स्पष्ट किया कि वह भाजपा को बहुमत का आंकड़ा हासिल नहीं होने पर उसके साथ जेजेपी के जाने और गठबंधन सरकार बनाने के खिलाफ नहीं है। यह पूछे जाने पर कि उन्होंने हाल में यह कहा था कि वह दुष्यंत के कारण एक विधायक बने हैं, दुष्यंत ने कहा, ‘‘हां, यह सही है। यद्यपि उन्हें यह भी अहसास होना चाहिए कि वह उप मुख्यमंत्री अपने विधायकों के चलते बने। हमने इसके लिए और अन्य पार्टी उम्मीदवारों के लिए कड़ी मेहनत की।’’
जजपा के भाजपा के साथ गठबंधन के बाद मंत्री पद की दौड़ में शामिल गौतम ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाले कैबिनेट में उन्हें मंत्री नहीं बनाए जाने का कोई असंतोष नहीं है। गौतम ने कहा, ‘‘मैं जजपा के टिकट का आकांक्षी भी नहीं था। यद्यपि दुष्यंत और उनके पिता अजय चौटाला की इच्छा थी कि मुझे उनके साथ आना चाहिए। उन्हें पता था कि मैं ही भाजपा के विधायक कैप्टन अभिमन्यु को हरा सकता हूं।’’ यद्यपि दुष्यंत पर परोक्ष तौर पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि उप मुख्यमंत्री ने 11 विभाग अपने पास रखे हैं जबकि पार्टी के मात्र एक विधायक को एक कनिष्ठ मंत्री बनाया गया है जिसे एक ‘‘छोटा’’ प्रभार दिया गया है।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह पार्टी से इस्तीफा देने के बारे में सोच रहे हैं, गौतम ने कहा, ‘‘लोगों ने मुझे चुना है, मेरी उनके प्रति जिम्मेदारी है। यदि मैं अपनी पार्टी से इस्तीफा देता हूं, मैं अपनी सीट भी गंवा दूंगा और मैं अपने क्षेत्र को अधर में नहीं छोड़ सकता। मैं पार्टी को अपने खून पसीने से सींचा है।’’