भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक उमेश मलिक को आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए दोषी ठहराते हुए विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने उन पर 1000 रुपये का जुर्माना लगाया है। विशेष न्यायाधीश मयंक जयसवाल ने मंगलवार को मलिक को इस मामले में दोषी ठहराया।

असिस्टेंट पब्लिक प्रासीक्यूटर अरविंद कुमार ने बताया कि पूर्व विधायक उमेश मलिक पर जनवरी 2017 में निषेधाज्ञा का उल्लंघन कर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने का आरोप था। वो अपने समर्थकों के एक समूह के साथ नामांकन भरने गए थे। पूर्व विधायक के वकील श्यामबीर सिंह ने बताया कि उमेश मलिक ने 1,000 रुपये का जुर्माना जमा कर दिया गया है।

संविधान के अनुच्‍छेद 324 के तहत चुनाव के दौरान लागू होती है संहिता

आदर्श आचार संहिता को राजनैतिक दलों की सहमति से तैयार किया गया है। निर्वाचन आयोग इसे भारत के संविधान के अनुच्‍छेद 324 के तहत निष्‍पक्ष और शांतिपूर्ण चुनावों के आयोजन के लिए लागू करता है। इस दौरान यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि सरकारी तंत्र का दुरूपयोग न हो।

चुनाव आयोग आचार संहिता को निर्वाचन अनुसूची की घोषणा की तारीख से लागू करता है। यह चुनाव प्रक्रिया के पूरा होने तक लागू रहती है। लोक सभा चुनाव के दौरान यह संहिता पूरे देश में लागू होती है। विधान सभा चुनाव के दौरान यह संहिता संपूर्ण राज्‍य में लागू होती है। उप चुनाव के दौरान यह संहिता संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में ही लागू होगी।

आदर्श आचार संहिता तय करती हैं कि राजनीतिक दलों, चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और सत्ताधारी दल (लों) को निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान कैसा व्‍यवहार करना चाहिए। चुनावी बैठकों, शोभायात्राओं, मतदान दिवस गतिविधियां इससे संचालित होती हैं। सत्ताधारी दल का चुनाव के दौरान कामकाज भी इससे ही तय होता है। अगर कोई राजनीतिक दल या फिर उम्मीदवार संहिता का उल्लंघन करता है तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ एक्शन ले सकता है। मामला अगर बड़ा होता है तो उसे विशेष अदालत के सुपुर्द कर दिया जाता है।