Sharad Yadav Death : जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव (Sharad Yadav) का गुरुवार देर रात निधन हो गया। उनकी बेटी सुभाष‍िनी शरद यादव ने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से इसकी जानकारी दी। शरद यादव ने 75 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। उनका निधन गुरुग्राम (Gurugram) के फोर्टिस अस्पताल में हुआ। शरद यादव का पार्थिव शरीर दक्षिणी दिल्ली के छतरपुर (Chhatarpur) स्थित उनके आवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। परिवार वालों के मुताबिक कल मध्य प्रदेश के जबलपुर में उनके पैतृक गांव में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

शरद यादव की बेटी ने फेसबुक पर एक भावुक पोस्ट में लिखा- “पापा नहीं रहे।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi), लोकसभा स्पीकर ओम बिरला समेत तमाम बड़े नेताओं ने शरद यादव के निधन पर श्रद्धांजलि दी। फोर्टिस अस्पताल ने बताया कि गुरुवार रात 10:19 बजे उनका निधन हो गया। बिहार और देश की राजनीति में अपनी अलग पहचान रखने वाले शरद यादव लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्हें गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

शरद यादव जनता दल पर‍िवार के पुराने नेता थे और जीवन के अंत‍िम द‍िनों में एक बार फ‍िर लालू यादव की पार्टी राष्‍ट्रीय जनता दल से ही आकर जुड़ गए थे। राजद के नेता तेजस्‍वी यादव ने शरद यादव को कुछ इस तरह याद क‍िया:

शरद यादव की मदद से ही लालू बन पाए थे सीएम

1990 ब‍िहार व‍िधानसभा चुनाव के बाद मुख्‍यमंत्री के रूप में लालू प्रसाद यादव के चयन में शरद यादव ने जनता दल खेमा में महत्‍वपूर्ण भूम‍िका न‍िभाई थी। तब के प्रधानमंत्री व‍िश्‍वनाथ प्रताप सिंह रामसुंदर दास को सीएम बनाए जाने के पक्ष में थे। लालू ने शरद यादव को अपने खेमे में करके तीन वोट से राजद के अंदर रामसुंदर दास पर बढ़त बना ली थी।

जनता दल यूनाइटेड के संस्‍थापक थे शरद यादव

हालांक‍ि, यहीं से दोनों की दोस्‍ती टूटने की भी नींव पड़ने लगी थी। 1997 में लालू ने राष्‍ट्रीय जनता दल का गठन कर ल‍िया, जबक‍ि शरद यादव ने जनता दल (यूनाइटेड) की स्‍थापना की। यह बाद में जॉर्ज फर्नां‍ड‍िंस की समता पार्टी में म‍िल गई। आगे चलकर शरद और लालू लोकसभा चुनाव में भी एक-दूसरे के सामने आए। दोनों ने एक-एक बार एक-दूसरे को हराया।  

नीतीश से क‍िए दो-दो हाथ

शरद यादव ने 2017 में नीतीश कुमार के एनडीए में लौटने के फैसले का कड़ा व‍िरोध क‍िया था। इस व‍िरोध की कीमत उन्‍हें राज्‍यसभा की सांसदी गंवा कर चुकानी पड़ी थी। 2018 में उन्‍होंने अलग पार्टी एलजेडी बनाई। हालांक‍ि, राजनीत‍िक रूप से यह पार्टी असफल रही। खुद शरद यादव भी चुनाव नहीं जीत सके।

अंतत: साल 2022 में शरद यादव ने एलजेडी को लालू यादव की आरजेडी में म‍िला लेने का न‍िर्णय ल‍िया था। इसके साथ ही पुराने सहयोगी लालू से एक बार फ‍िर शरद का म‍िलन हो गया।