कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री सरदार बूटा सिंह का आज लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। 86 वर्षीय बूटा सिंह का अंतिम संस्कार भी आज ही किया जाएगा। पंजाब के जालंधर जिले में जन्मे बूटा सिंह को दलितों का मसीहा कहा जाता था। सरदार बूटा सिंह 8 बार लोकसभा के सांसद रहे और वे नेहरू गाँधी परिवार के भरोसेमंद व्यक्ति थे।
पीएम मोदी ने पूर्व गृह मंत्री बूटा सिंह के निधन पर दुःख व्यक्त करते हुए ट्विटर पर लिखा है कि वे एक अनुभवी प्रशासक के साथ गरीबों और दलितों के बुलंद आवाज थे। मैं उनके निधन से दुखी हूँ. उनके परिवार और समर्थकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूँ। वहीँ कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने भी ट्वीट करते हुए लिखा कि सरदार बूटा सिंह जी के निधन से देश ने एक निष्टावान नेता और सच्चा जनसेवक खो दिया है। उन्होंने अपना जीवन देश की जनता के लिए समर्पित कर दिया। जिसके लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा। इस मुश्किल समय में उनके परिवारजनों को मेरी संवेदनाएं हैं।
Shri Buta Singh Ji was an experienced administrator and effective voice for the welfare of the poor as well as downtrodden. Saddened by his passing away. My condolences to his family and supporters.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 2, 2021
सरदार बूटा सिंह राजीव गाँधी की सरकार में केंद्रीय गृह मंत्री और कृषि मंत्री भी रह चुके थे। यही नहीं उन्होंने देश के रेल , खेल , खनन और संचार मंत्रालयों का भी ज़िम्मा संभाला था। इसके अलावा बूटा सिंह बिहार के राज्यपाल के पद पर भी रहे। वह 2007 से 2010 तक राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष भी थे। राजीव गाँधी के अलावा बूटा सिंह इंदिरा गाँधी और पीवी नरसिम्हा राव की कैबिनेट में भी रह चुके थे।
सरदार बूटा सिंह जी के देहांत से देश ने एक सच्चा जनसेवक और निष्ठावान नेता खो दिया है।
उन्होंने अपना पूरा जीवन देश की सेवा और जनता की भलाई के लिए समर्पित कर दिया, जिसके लिए उन्हें सदैव याद रखा जाएगा।
इस मुश्किल समय में उनके परिवारजनों को मेरी संवेदनाएँ।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 2, 2021
सरदार बूटा सिंह कांग्रेस में आने से पहले अकाली दल में थे। 1960 में बूटा सिंह कांग्रेस में शामिल हो गए थे। वे पहली बार 1962 में लोकसभा के सदस्य चुने गए थे। 1977 में कांग्रेस की हुई बुरी हार के बाद जब पार्टी टूट गयी थी तब बूटा सिंह ने कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव का पदभार संभाला था। कहा जाता है कि 1980 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की बड़ी जीत के पीछे सरदार बूटा सिंह की कड़ी मेहनत ही थी। बूटा सिंह के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा दो बेटे और एक बेटी हैं।