छत्तीसगढ़ में कोल- ब्लॉक आवंटन मामले में अनियमितता केस में दिल्ली की विशेष अदालत ने पूर्व राज्यसभा सांसद विजय दर्डा को चार साल की कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने उनके बेटे देवेंदर दर्डा और मेसर्स जेएलडी यवतमाल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक मनोज कुमार जयसवाल को भी इतनी ही सजा सुनाई है। अदालत ने पूर्व कोल सचिव एचसी गुप्ता, दो वरिष्ठ लोकसेवकों केएस क्रोफा और केसी समरिया को इसी मामले में तीन साल कैद की सजा सुनाई है।
इससे पहले 13 जुलाई को अदालत ने पूर्व राज्यसभा सांसद विजय दर्डा और पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता समेत पांच अन्य आरोपियों को दोषी ठहराया था।
विशेष न्यायाधीश संजय बंसल ने पूर्व सांसद के बेटे देवेंदर दर्डा, वरिष्ठ लोक सेवक केएस क्रोफा और केसी सामरिया, जेएलडी यवतमाल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड और इसके निदेशक मनोज कुमार जयसवाल को भी कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में दोषी ठहराया था। हालांकि सीबीआई ने मामले में क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी, लेकिन साल 2014 में अदालत ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया था और निर्देश दिया था कि जांच एजेंसी द्वारा नए सिरे से जांच की जाए।
सीबीआई ने अपनी एफआईआर में आरोप लगाया था कि जेएलडी यवतमाल एनर्जी ने 1999-2005 में अपने समूह की कंपनियों को चार कोयला ब्लॉकों के पिछले आवंटन को गलत तरीके से छिपाया था। जांच एजेंसी ने बाद में एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी।
उसमें कहा गया कि कोयला ब्लॉक आवंटन में कोयला मंत्रालय द्वारा जेएलडी यवतमाल एनर्जी को कोई अनुचित लाभ नहीं पहुंचाया गया। सीबीआई ने कहा था कि कोयला मंत्रालय के अधिकारियों और जेएलडी यवतमाल एनर्जी के निदेशकों के बीच धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश को स्थापित करने के लिए कुछ भी ठोस सामने नहीं आया है।