पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर पूर्व की कांग्रेस सरकारों के योगदान की सराहना की। मुखर्जी ने कहा कि ‘वित्त मंत्री कह सकते हैं कि भारत 2024 में 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बन जाएगा क्योंकि इसकी मजबूत नींव पहले रखी जा चुकी है। ब्रिटिश लोगों के जरिए नहीं बल्कि स्वतंत्रता के बाद से भारतीयों के प्रयास से ऐसा संभव हुआ है।’
उन्होंने कहा कि आधुनिक भारत की नींव उन संस्थापकों ने रखी थी, जिनका योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में मज़बूत भरोसा था। प्रणब ने कहा कि ऐसा आजकल नहीं है, जब योजना आयोग को खत्म कर दिया गया है। पूर्व राष्ट्रपति दिल्ली में कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में समृद्ध भारत फाउंडेशन द्वारा आयोजित व्याख्यान में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘जो लोग 55 साल के कांग्रेस शासन की आलोचना करते हैं, वे यह बात नज़रअंदाज़ कर देते हैं कि आज़ादी के वक्त भारत कहां था, और हम कितना आगे आ चुके हैं। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि अगर भारत की अर्थव्यवस्था को 50 खरब अमेरिकी डॉलर तक ले जाना है, तो हमने 18 खरब डॉलर की मज़बूत नींव छोड़ी थी, जो लगभग शून्य से शुरू हुई थी।’
Former President Pranab Mukherjee: Those who criticise Congress rule of 50-55 years, they forget that from where we began and where we left. If Indian economy is to be built to US$5 Trillion, we left a strong foundation of US$1.8 Trillion from almost zero. (18.07.2019) pic.twitter.com/RjhGXMIh7M
— ANI (@ANI) July 18, 2019
उन्होंने कहा कि भारत को भविष्य में 50 खरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बना पाने की नींव पिछली सरकारों ने रखी थी, जिनमें जवाहरलाल नेहरू, डॉ मनमोहन सिंह और पी.वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली सरकारें भी शामिल थीं। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि वित्तमंत्री ने बजट पेश करते हुए कहा था कि साल 2024 तक भारत की अर्थव्यवस्था 50 खरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगी… लेकिन यह दर्जा आसमान से उतरकर नहीं आएगा… इसके लिए मजबूत नींव मौजूद है।
उस नींव को अंग्रेज़ों ने नहीं, आज़ादी के बाद हिन्दुस्तानियों ने ही बनाया था।’ मुखर्जी ने कहा, ‘भारत ने तेज़ी से विकास किया क्योंकि जवाहरलाल नेहरू तथा अन्य ने आईआईटी, इसरो, आईआईएम बैंकिंग नेटवर्क आदि की स्थापना की। इसे डॉ मनमोहन सिंह और नरसिम्हा राव की तरफ से अर्थव्यवस्था का उदारीकरण करने से भी मदद मिली।
इससे भारत की आर्थिक संभावनाएं बेहद बढ़ गईं। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि पंचवर्षीय योजनाओं ने अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य, शिक्षा के लिए दृष्टिकोण का निर्माण किया। इन योजनाओं के आधार पर निवेश किया जाता था।