Manmohan Singh India Finance Minister Story: देश के पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. मनमोहन सिंह का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार रात को दिल्ली में निधन हो गया। साल 1991 में भारत काफी मुश्किल घड़ी से गुजर रहा था। उस समय देश के पास केवल 89 करोड़ डॉलर की विदेशी मुद्रा रह गई थी। ऐसे मुश्किल भरे हालात में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने मनमोहन सिंह को वित्त मंत्रालय का प्रभार सौंप दिया। मनमोहन सिंह ने बतौर वित्त मंत्री भी अपनी भूमिका को अच्छी तरह से निभाया। आइए जानते हैं उनके वित्त मंत्री बनने की कहानी।
साल 1991 में नरसिम्हा राव पीएम बने। जून के महीनें में ही कैबिनेट सचिव नरेश चंद्रा ने उनसे मुलाकात की और 8 पेज का टॉप सीक्रेट नोट दिया। इसमें कहा गया कि प्रधानमंत्री को किन कामों को सबसे पहले करना चाहिए। जब राव ने उस नोट को पढ़ा तो वह बेहद ही हैरान हो गए। उन्होंने चंद्रा से सवाल किया कि क्या भारत की आर्थिक हालत वाकई में खराब है। उस टाइम भारत की विदेशी मुद्रा भंडार 1990 तक महज 3 अरब 11 करोड़ डॉलर ही रह गई थी। साल 1991 आते-आते वह केवल 89 करोड़ डॉलर ही रह गई। हालात का अंदाजा केवल इसी बात से लगाया जा सकता है कि विदेशी मुद्रा भंडार से आयात का केवल दो हफ्ते का खर्च ही उठाया जा सकता था।
1990 के खाड़ी युद्ध का देश पर हुआ असर
1990 में खाड़ी युद्ध भी हुआ। इसकी वजह से तेल की कीमतों में आग लग गई। तेल की कीमत में तीन गुना इजाफा हो गया। कुवैत पर इराक के हमले की वजह से भारत ने अपने हजारों मजदूरों को भारत बुला लिया था। उनकी तरफ से भेजी जाने वाली मुद्रा पर भी पूरी तरह से रोक लग गई। देश को इस मुश्किल घड़ी से बाहर निकालने के लिए पीवी नरसिम्हा राव ने मनमोहन सिंह पर भरोसा जताया।
अर्थशास्त्री, RBI गवर्नर, वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री…
नरसिम्हा राव ने इन्हें दी मनमोहन सिंह को मनाने की जिम्मेदारी
1980 के दशक में महंगाई दर भी आसमान छू रही थी। उस समय करीब 16.7 फ़ीसदी महंगाई दर थी। इन हालात में नरसिम्हा राव अपने मंत्रिमंडल में एक अर्थशास्त्री को तवज्जो देना चाहते थे। नरसिम्हा राव ने इस मामले को लेकर इंदिरा गांधी के प्रधान सचिव रहे पीसी अलेक्जेडर से सलाह-मशविरा किया। पीसी ने आईजी पटेल और मनमोहन सिंह के नाम को आगे बढ़ाया। अलेक्जेंडर ज्यादातर मनमोहन सिंह के ही पक्ष में थे। इसी वजह से नरसिम्हा राव ने उन्हें मनाने की जिम्मेदारी दे दी।
पीसी अलेक्जेंडर ने कहा कि 20 जून को ही मनमोहन सिंह के घर पर फोन घुमा दिया। उनके नौकर ने जानकारी देते हुए कहा कि वह यूरोप गए हुए हैं। वह देर रात तक ही घर पर वापस आएंगे। 21 जून की सुबह साढ़े पांच बजे का वक्त था और जब मैंने फिर से उनके घर पर फोन किया तो उनके नौकर ने बताया कि साहब अभी सोए हुए हैं। जब मैंने बहुत ज्यादा जोर दिया तो उन्होंने मनमोहन सिंह को जगाया। इसके बाद अलेक्जेंडर ने उनसे कहा कि मेरा आपसे मुलाकात करना बेहद ही अहम है। जब अलेक्जेंडर उनके घर पर पहुंचे तो वह फिर से सो चुके थे।
भारत की अर्थव्यवस्था ने पकड़ी नई रफ्तार
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को अलेक्जेंडर ने नरसिम्हा राव का मैसेज दिया कि वह उन्हें फाइनेंस मिनिस्टर बनाना चाहते हैं। वित्त मंत्री के तौर पर शपथ लेने से पहले नरसिम्हा राव ने एक बेहद ही अहम बात बोली थी। उन्होंने कहा कि मैं आपको काम करने की पूरी तरह से आजादी दूंगा। अगर हमारी नीतियां कामयाब होती हैं तो हम सब उसका श्रेय लेंगे। अगर हम कामयाब नहीं होते हैं तो आपको जाना पड़ेगा। 1991 में नरसिम्हा राव की सरकार में वित्तमंत्री रहते हुए उन्होंने बजट में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण से जुड़ी अहम घोषणाएं की। इससे भारत की अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार मिली। मनमोहन सिंह ने लड़ा सिर्फ एक लोकसभा चुनाव पढ़ें पूरी खबर…