जम्मू नगर निगम के पूर्व महापौर और वरिष्ठ भाजपा नेता चंद्र मोहन गुप्ता समेत 10 लोगों के खिलाफ जम्मू कश्मीर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। गुप्ता समेत सभी पर आरोप है कि इन सभी ने 13 गायों और 24 बछड़ों को गायब कराया है, साथ ही ये भी आरोप है कि गौशाला के धन का भी इन्होंने दुरुपयोग किया है। इन मामलों को लेकर पुलिस ने सोमवार को बीएनएस की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

पुलिस ने बीएनएस धाराओं के तहत किसी भी जानवर को मारने, जहर देने, अपंग बनाने या बेकार करने जैसे आपराधिक विश्वासघात, धोखाधड़ी और शरारत से संबंधित मामलों में मुकदमा दर्ज किया है।

पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मामले को गुप्ता ने सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि यह मामला राजनीति से प्रेरित है तथा उनकी छवि खराब करने का प्रयास किया जा रहा है। यह मामला जम्मू की प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट (मुंसिफ) रेखा शर्मा के निर्देश पर हरे कृष्ण गौशाला चैरिटेबल ट्रस्ट के महासचिव रोहित बाली की शिकायत पर दर्ज किया गया है।

गौशाला में चल रही अवैध गतिविधियों की मिली थी रिपोर्ट

शिकायतकर्ता ने इस मामले को लेकर बताया कि हरे कृष्ण गौशाला चैरिटेबल ट्रस्ट के महासचिव के तौर पर वह 25 गायों और 24 बछड़ों की खरीद समेत इसके कामकाज का प्रबंधन करते रहे थे। उन्होंने बताया कि बाद में उपायुक्त के आदेश पर गौशाला को प्रशासन ने अपने नियंत्रण में ले लिया।

उन्होंने दावा किया कि इसके बाद उन्हें गौशाला में चल रही अवैध गतिविधियों की रिपोर्ट मिली, जिनमें कथित तौर पर गुप्ता और कुछ अन्य लोग शामिल थे। जिनमें गायों और उनके बछड़ों का गायब होना भी शामिल था। बाली ने दावा किया कि इसके बाद उन्होंने 19 मार्च 2024 को जम्मू खास के तहसीलदार से संपर्क कर मामले की जांच की मांग की।

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उनकी शिकायत के बाद तहसीलदार ने गौशाला का दौरा किया और 23 मार्च, 2024 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट में पूर्व महापौर समेत अन्य लोगों द्वारा गौशाला के प्रबंधन में किए जा रहे धन के कथित गबन और हस्तक्षेप का मामला उजागर हुआ।

इस मामले को लेकर तहसीलदार ने जम्मू के मुख्य पशुपालन अधिकारी से भी गायों की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी है। अधिकारी ने 6 जुलाई 2024 की अपनी रिपोर्ट में बताया कि 13 गायें और 24 बछड़े गायब पाए गए। इसके बाद शिकायतकर्ता ने दावा किया कि वह बख्शी नगर पुलिस थाने में शिकायत लेकर गया, लेकिन एसएचओ ने एफआईआर दर्ज नहीं की। इसके बाद शिकायतकर्ता ने अदालत का रुख किया, जिसके बाद एसएचओ को मामला दर्ज करने का निर्देश दिया गया।