जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी कुलदीप खोड़ा ने एक ब्लॉग के जरिये घाटी के हालातों पर ध्यान खींचा है। पीटीआई के अनुसार पूर्व डीजीपी ने अपने लेख में इस बात पर प्रमुखता से ध्यान खींचा है कि वर्तमान में राज्य में ज्यादा शिक्षित युवा आतंकवाद में शामिल होने के लिए उत्साहित हो रहे हैं और और बंदूक को आकर्षक और ग्लैमरस विकल्प के तौर पर उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि है इस प्रकार घाटी में एक नया पंथ पैदा हो रहा है। कुलदीप खोड़ा ने पिछले साल सेवानिवृत्त होने से पहले राज्य के मुख्य सतर्कता आयुक्त के रूप में काम किया था और वह राज्य में सबसे लंबे समय तक और सबसे सफल पुलिस प्रमुखों में से एक रहे हैं। उन्होंने लिखा कि कश्मीर में आतंकवाद के आयाम और गतिशीलता बदल रहे हैं। उन्होंने आतंकवाद में भारी तादात में शामिल हो रहे युवाओं की ओर ध्यान खींचते हुए लिखा कि सुरक्षा का अमला अपना काम भले ही बखूबी करे लेकिन राजनीतिक अमला काम न करे तो कई दफा आम आदमी पक्षपात और भाई-भतीजावाद का शिकार बन जाता है।

उन्होंने लिखा कि सिस्टम फेल होने से अवसाद में आया आदमी बाहर निकलने का कोई रास्ता खोजता है। खोड़ा ने लिखा कि बाकी राज्यों में सिस्टम फेल होने पर लोग धरना, हड़ताल और आगजनी जैसी चीजों का सहारा अवसाद से बाहर निकलने के लिए लेते हैं लेकिन कश्मीर में मायने बदल गए हैं। उन्होंने लिखा कि पिछले तीन दशकों में घाटी में आतंकवाद ने अपनी जड़े गहरी बनाई हैं, जहां बंदूक एक तैयार और उपलब्ध हथियार के तौर पर ही नहीं, बल्कि एक आकर्षक और ग्लैमरस चीज बन गई है। उन्होंने लिखा कि आतंकवाद के ग्लैमराइजेशन ने कई शिक्षित लड़कों को इसकी रैंक के लिए आकर्षिक किया है।

खोड़ा ने कहा कि इससे पहले यह अनसुना रहा हो लेकिन अब एक वास्तविकता यह है कि शिक्षित युवाओं की बड़ी संख्या आतंकवाद का हिस्सा बनने और इसे आगे बढ़ाने के लिए उत्साहित हो रही है। खोड़ा ने इस बारे में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के एक पीएचडी छात्र समेत कश्मीर यूनिवर्सिटी के फैकल्टी मेंबर (जिसे बाद में एक ऑपरेशन में मार गिराया गया था) और एक प्रमुख अलगाववादी के एमबीए बेटे के आतंकवाद से जुड़ने का उदाहरण पेश किया