नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे विरोध-प्रदर्शन के बीच दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग ने सोमवार को कहा कि इसमें संशोधन की जरूरत है। अगर इसे समावेशी बनाया जाए तो विरोध प्रदर्शन बंद हो जाएगा। कहा कि “मुझे लगता है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम में एक सुधार की आवश्यकता है। उन्हें या तो मुसलमानों को भी शामिल करना चाहिए या अन्य धर्मों के नामों को हटाना चाहिए। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन लोगों को बुलाते हैं और बातचीत करते हैं, तो मामला सुलझ जाएगा।”
समस्या के समाधान के लिए बातचीत को जरूरी बताया : जामिया मिलिया इस्लामिया के बाहर बोलते हुए उन्होंने कहा कि “बातचीत के बाद ही कोई समाधान निकलेगा। अगर हम बात नहीं करेंगे तो समाधान कैसे आएगा? यह विरोध कब तक चलेगा?” जंग ने आगे कहा कि अर्थव्यवस्था खराब हालत में है, दुकानें बंद हैं, बसें नहीं चल रही हैं और नुकसान हो रहा है। इससे देश के सामने बड़ी दिक्कतें खड़ी हो जाएंगी।
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हाल ही खुला पत्र लिखकर विरोध जताया था : नजीब जंग उन 106 हस्तियों में से एक हैं, जिन्होंने हाल ही में एक खुला पत्र लिखकर कहा था कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) और नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) “अनावश्यक और बेकार प्रयोग” है। इससे जनता को कष्ट होगा। उन्होंने इसे वापस लेने की मांग की थी।
कहा कानून को लेकर लोगों में तमाम आशंकाएं हैं : “सीएए प्रावधानों की संवैधानिक वैधता के बारे में हमारी गंभीर चिंताएं हैं। हम इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि एक ऐसा क़ानून जो जानबूझकर मुस्लिम धर्म को इसके दायरे से बाहर रखता है, भारत की आबादी के एक बहुत बड़े हिस्से के मन में तमाम आशंकाओं को जन्म दे रहा है।” पत्र में कहा गया है,” भारत को सीएए, एनपीआर और एनआरसी की आवश्यकता नहीं है।”
