उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से जुड़ा एक ऐसा राज़ है, जिस पर शायद ही पार्टी खुलकर बात करना चाहे। दरअसल, स्वतंत्र देव सिंह को उनके माता-पिता ने जो नाम दिया, वो कांग्रेस सिंह है। हालांकि, उनके बीजेपी में शामिल होते ही उनके नाम ‘कांग्रेस’ को आनन-फानन में बदला गया। यह बेहद दिलचस्प ही है कि पूर्व में ‘कांग्रेस सिंह’ रहे नेता अब यूपी में बीजेपी की अगुआई कर रहे हैं।
यह भी सच है कि यूपी बीजेपी में ऐसे बहुत सारे नेता हैं, जिनके परिवार के सदस्य कांग्रेस के हिस्सा रहे हैं। दिवंगत पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री के पोते सिद्धार्थ नाथ सिंह वर्तमान में योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की बेटी रीता बहुगुणा जोशी फिलहाल बीजेपी सांसद हैं।
कांग्रेस के दो दिग्गज नेता राजेंद्र कुमारी वाजपेयी और श्यामा चरण शुक्ला के पोते हर्षवर्धन वाजपेयी प्रयागराज से बीजेपी विधायक हैं। वहीं, यूपी के पूर्व सीएम वीर बहादुर सिंह के बेटे फतेह बहादुर सिंह भी भाजपा विधायक हैं और आदित्यनाथ के नजदीकियों में गिने जाते हैं।
उत्तराखंड की बात करें तो सतपाल महाराज और उनकी पत्नी अमृता रावत, पूर्व सीएम विजय बहुगुणा, पूर्व असेंबली स्पीकर यशपाल आर्य, पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के अलावा सुबोध उनियाल, प्रणव सिंह, केदार सिंह रावत, प्रदीप बत्रा और रेखा आर्या ये सभी ऐसे कांग्रेसी नेता रहे हैं, जिन्होंने बाद में बीजेपी का दामन थाम लिया।
सिर्फ उत्तराखंड ही नहीं, देश के दूसरे राज्यों में भी बहुत सारे ऐसे नेता हैं, जो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। बीजेपी के राजनीतिक आलोचक यह आरोप लगाते रहे हैं कि पार्टी का ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ का सपना कांग्रेसी नेताओं को अपने यहां जगह देकर ही पूरा हो रहा है। वहीं, बीजेपी का एक धड़ा इस बात से नाराज बताया जाता है कि वफादार पार्टी कार्यकर्ताओं की अनदेखी करके बाहर से आए लोगों को मंत्री पद दिए गए।
(जनसत्ता ऑनलाइन इनपुट्स के साथ)
