देश के पूर्व चीफ जस्टिस और राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई को केंद्र सरकार ने Z+ सुरक्षा दी है। सीआरपीएफ को ऐसा करने के आदेश दिए गए हैं। बता दें कि नवंबर 2019 में रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने अयोध्या में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर ऐताहिसक फैसला सुनाया था। 40 दिन चली सुनवाई के बाद 5 जजों की बैंच ने विवादित जमीन पर राम मंदिर बनाने के लिए आदेश दिए थे। गौरतलब है कि रिटायर होने से ठीक पहले गोगोई ने ये आदेश सुनाया था। वे उसी महीने रिटायर भी हो गए थे।
पिछले साल मार्च में पूर्व चीफ जस्टिस को राज्यसभा के लिए केंद्र सरकार ने मनोनीत किया था। उन्होंने मार्च में राज्यसभा की सदस्यता ली। जानकारी हो कि साल 2018 में रंजन गोगोई समेत सुप्रीम कोर्ट के जजों ने देश की न्यायपालिका के इतिहास में सबसे पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी। उन्होंने न्यायिक व्यवस्था और केस आवंटित किए जाने को लेकर उस समय सवाल किए थे।
पिछले साल मार्च में जब रंजन गोगोई ने राज्यसभा की सदस्यता की शपथ ली थी उस समय विपक्ष ने उनके विरोध में जमकर नारेबाजी की थी। हंगामे के बीच गोगोई ने शपथ ली जिसके बाद विपक्ष के नेताओं ने वॉकआउट किया।
ऐसा पहली बार हुआ था कि कोई राज्यसभा सदस्य शपथ ले रहा हो और बाकी सदस्यों द्वारा इतना हंगामा किया गया हो। हंगामा तब शुरू हुआ जब सभापति वैंकेया नायडू ने गोगोई को शपथ लेन के लिए बुलाया। जहां विपक्ष ने हंगामा किया वहीं बीजेपी ने रंजन गोगोई का समर्थन किया। उस समय गोगोई ने मीडिया से कहा था कि विपक्ष के लोग मेरे आलोचक नहीं हैं वे भी मेरा जल्द ही स्वागत करेंगे।
उस समय सरकार ने विपक्ष के इस रवैए की जमकर आलोचना की थी। कांग्रेस ने रंजन गोगोई को राज्यसभा सदस्य बनाए जाने की आलोचना करते हुए कहा था कि इससे देश की न्यायपालिका प्रभावित होगी। भविष्य में दूसरे जज भी राज्यसभा के लालच में फैसले दिया करेंगे। कांग्रेस ने कहा कि देश में सरकार और न्यायपालिका की मिलीभगत होना कहीं से भी सही नहीं है। लोकतंत्र के लिए ये खतरा है।