सरकार ने सोमवार को पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया। जैसे ही ये खबर सामने आई सोशल मीडिया से लेकर विपक्ष तक सब ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया। कांग्रेस ने इसे न्यायपालिका और खुद की ईमानदारी से समझौता बताया तो ट्विटर पर यूजर्स ने जस्टिस लोया को याद करते हुए बीजेपी को ट्रोल करना शुरू कर दिया।
एक यूजर ने इसपर लिखा कि लॉयल बनो, वरना लोया बना दिए जाओगे। एक अन्य यूजर ने लिखा “न्यायाधीश रंजन गोगोई ने क्या दिया, राफेल में क्लीन चिट, अयोध्या फैसला, एनआरसी पर फैसले, जस्टिस लोया मामले में याचिका खारिज की और कश्मीर मुद्दे पर देरी की। बदले में उन्हें क्या मिला, राज्यसभा की सदस्यता। न्यायपालिका की जय हो।”
लॉयल बनो, वरना लोया बना दिए जाओगे।
— Sampat Saral (@Sampat_Saral) March 17, 2020
My sanitizer is so good at keeping my hands clean, I’ve named it Gogoi.
— Kajol Srinivasan (@LOLrakshak) March 17, 2020
What Ranjan Gogoi gave**
– Rafale Clean chit
– Ayodhya 5 acre Verdict
– NRC baised Judgement
– Rejectd Loya Petition
– Delayed Kashmir mattersWhat Gogoi got in return**
– Rajya Sabha seat.
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Jai Judiciary!!— Nенr_wно™ (@Nehr_who) March 17, 2020
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी इसे लेकर सरकार पर निशाना साधा है। संजय ने ट्वीट कर लिखा “राफ़ेल मामले में फ़ैसला देकर अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कराने वाले पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री रंजन गोगई को राज्य सभा भेजकर भाजपा ने “सेवा का मेवा” दिया है।”
राफ़ेल मामले में फ़ैसला देकर अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कराने वाले पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री रंजन गोगई को राज्य सभा भेजकर भाजपा ने “सेवा का मेवा” दिया है।
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) March 17, 2020
सोमवार को न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने की अधिसूचना गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई। अधिसूचना में कहा गया, “भारत के संविधान के अनुच्छेद 80 के खंड (1) के उपखंड (ए), जिसे उस अनुच्छेद के खंड (3) के साथ पढ़ा जाए, के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रपति को श्री रंजन गोगोई को राज्यसभा में एक सदस्य का कार्यकाल समाप्त होने से खाली हुई सीट पर मनोनीत करते हुए प्रसन्नता हो रही है।”
यह सीट केटीएस तुलसी का राज्यसभा का कार्यकाल पूरा होने से खाली हुई थी। गोगोई ने उस पांच न्यायाधीशों की पीठ का नेतृत्व किया जिसने गत वर्ष नौ नवम्बर को संवेदनशील अयोध्या मामले पर फैसला सुनाया था। वह उसी महीने बाद में सेवानिवृत्त हो गए थे। गोगोई ने साथ ही सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश और राफेल लड़ाकू विमान सौदे संबंधी मामलों पर फैसला देने वाली पीठों का भी नेतृत्व किया।