भाजपा नेता और पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक बार फिर मोदी सरकार के फैसलों पर सवाल उठाया है। कहा है कि सरकार ने नामीबिया से जो चीता मंगाए हैं, उसके पीछे सौदे की बात है। नामीबिया ने चीता देने के बदले भारत सरकार से हाथी दांत पर लगे प्रतिबंध हटाने की मांग की है। यानी चीता डील की आड़ में हाथी दांत पर निशाना साधना है। उन्होंने ट्वीट करके इंडियन एक्सप्रेस पर छपी खबर के हवाले से कहा कि यदि यह सही है तो यह भयानक सौदा है और भगवान गणपति के साथ विश्वासघात है।
दरअसल इंडियन एक्सप्रेस में 13 अक्टूबर 2022 को छपी स्टोरी में बताया गया था, “चीतों को देश मे लाने के लिए नामीबिया के साथ किए गए सौदे में जैव विविधता के सतत उपयोग और प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए भारत सहमत हुआ है।” साथ ही भारत द्विपक्षीय सहयोग के क्षेत्र में “वनस्पति और जीवों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन की बैठकों सहित अंतरराष्ट्रीय मंचों पर” प्रगति का समर्थन करता है।
हालांकि “हाथी दांत” शब्द का उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन नामीबिया ने सीआईटीईएस में “टिकाऊ प्रबंधन” का समर्थन करने की प्रतिबद्धता के तहत पहले ही नामीबिया, बोत्सवाना, दक्षिण अफ्रीका और जिम्बाब्वे के हाथियों से प्राप्त हाथीदांत में व्यापार की अनुमति देने के अपने पुराने प्रस्ताव के लिए भारत से समर्थन की मांग की है।
नवंबर में इसे फिर से मतदान के लिए रखा जाएगा, और अगर भारत इसका समर्थन करता है, तो यह स्थिति में एक आमूलचूल बदलाव को चिह्नित करेगा, क्योंकि इसने 1980 के दशक से हाथी दांत के व्यापार पर पूर्ण प्रतिबंध का समर्थन किया था।
सुब्रमण्यम स्वामी मोदी सरकार के तमाम फैसलों पर लगातार सवाल उठाते रहते हैं। उनका ताजा ट्वीट अफ्रीकी देश नामीबिया से चीता लाने के बदले उसको हाथी दांत का अंतरराष्ट्रीय व्यापार करने का समर्थन देने पर सवाल है। सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि सरकार इस पर अपनी स्थिति साफ करे।
सोशल मीडिया पर नेटयूजरों ने जताई चिंता
भाजपा नेता के ट्वीट पर सोशल मीडिया में कई तरह के रिएक्शंस आए हैं। कई लोगों ने कहा कि यह तो धोखा है तो कुछ लोगों ने कहा कि यह देश के लिए चिंता की बात है। एक यूजर ने लिखा कि आठ चीतों के बदले हाथियों को खतरे में डाला जा रहा है।