प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर वर्ष 2016 की रात 8 बजे देश में नोटबंदी की घोषणा की थी। बाजार में चल रहे 500 और 1 हजार रुपये के पुराने नोट को अमान्य करार दे दिया गया। देश की जनता से कहा गया कि जिनके पास पुराने नोट हैं, तय सीमा के भीतर बैंकों में जमा करवा दें। नोटबंदी के बाद बैंकों में बड़ी मात्रा में लोगों ने पैसे जमा किए। जांच एजेंसियां नोटबंदी के बाद खातों में बड़ी लेन-देन करने वालों की जांच में जुटी हैं। जिनके खातों में अचानक से ज्यादा रकम जमा किए गए या लेन-देन हुए, उनसे पूछताछ की जा रही है। महाराष्ट्र के पूर्व गृह सचिव केपी बख्शी नोटबंदी के समय में संदिग्ध लेन-देन को लेकर केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के दायरे में आ गए हैं। उन्होंने नोटबंदी के दौरान तीन ट्रांजेक्शन में दो करोड़ का लेन-देन किया था।

इंडिया टुडे ने अपनी एक रिपोर्ट में महाराष्ट्र सरकार के सूत्रों के हवाले से बताया है कि सीवीसी द्वारा कार्मिक और प्रशिक्षण निदेशालय (डीओपीटी) को एक रिपोर्ट सौंपी गई है। रिपोर्ट के बाद महाराष्ट्र सरकार ने केपी बख्शी को खाते में संदिग्ध लेन-देन से संबंधित जवाब देने को कहा है। साथ ही डीओपीटी, आयकर विभाग, एंटी करप्शन ब्यूरो को भी संदिग्ध लेन-देन को लेकर अलर्ट कर दिया गया है। सीवीसी रिपोर्ट के अनुसार, आर्थिक खुफिया इकाई (एफआईयू) ने बताया है कि बख्शी के पैन कार्ड से जुड़े बैंक अकाउंट से तीन ट्रांजैक्शन किए गए। यह ट्रांजैक्शन 8 नवंबर 2016 से 31 दिसंबर 2016 के बीच किए गए। पहला ट्रांजैक्शन करीब 1.50 करोड़, दूसरा 65 लाख और तीसरा 45-50 लाख का था। इस अवधि में बड़ी मात्रा में किए गए ट्रांजैक्शन की वजह से अवैध लेन-देन या मनीलाउंड्रिंग का संदेह बढ़ गया है।

बख्शी के खाते में संदिग्ध लेन-देन को देखते हुए पिछले साल सीवीसी ने डीओपीटी को रिपोर्ट सौंपी थी, इसमें बख्शी को सफाई देने को कहा गया था। नोटिस के बावजूद बख्शी थोड़ी सफाई दी और दावा किया कि सभी ट्रांजैक्शन सही थे। हालांकि, उन्होंने इससे संबंधित कोई प्रूफ जमा नहीं किया। इसके बाद बख्शी को फिर से प्रूफ जमा करने अथवा आयकर विभाग, ईडी और एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा जांच के लिए तैयार रहने को कहा गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, इस पूरे मामले पर सफाई देते हुए बख्शी ने कहा, “मुझसे स्पष्टीकरण मांगा गया था, जिसे मैंने जनवरी 2019 में जमा करवा दिया। मेरा बेटा और मेरी पत्नी एक एलएलपी फर्म के डॉयरेक्टर हैं। उन्हें एक टैक्स सलाहकार ने टैक्स-फ्री इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड में निवेश करने की सलाह दी थी। लेकिन इस निवेश के लिए उनके पास डीमैट अकाउंट नहीं था। इस वजह से मेरे डीमैट अकाउंट से पैसे का लेनदेन किया गया। ऐसे मेरे खाते का प्रयोग ज्यादा रकम के लेन-देन में नहीं होता है। यदि सरकार दस्तावेज और डिटेल मांगती है तो मैं बैंक अकाउंट, डीमैट अकाउंट और अकाउंट स्टेटमेंट देने को तैयार हूं।” बता दें कि बख्शी नवंबर 2016 में रिटायर हो गए थे और वर्तमान में राज्य जल सेवा राज्य जल सेवा नियामक प्राधिकरण के अध्यक्ष हैं।