विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत-चीन के रिश्ते पर बड़ा बयान दिया है। एस जयशंकर ने कहा है कि भारत और चीन के बीच संबंधों को आपसी संवेदनशीलता, आपसी सम्मान और आपसी हित के तीन संबंधों पर आधारित होना चाहिए, ताकि वे सकारात्मक रास्ते पर वापस आ सकें और टिकाऊ बने रहें।

एस जयशंकर ने सोमवार को एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के उद्घाटन पर बोलते हुए यह भी कहा कि सीमा की स्थिति भारत-चीन संबंधों की स्थिति का निर्धारण करेगी। इस कार्यक्रम में ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री केविन रुड भी शामिल हुए। जयशंकर ने कहा, “संबंधों को एक सकारात्मक रास्ते पर लौटने और टिकाऊ बने रहने के लिए, उन्हें तीन पारस्परिक पर आधारित होना चाहिए- पारस्परिक संवेदनशीलता, पारस्परिक सम्मान और पारस्परिक हित।”

एस जयशंकर ने भारत-चीन रिश्तों पर बोलते हुए आगे कहा, “उनकी वर्तमान स्थिति निश्चित रूप से आप सभी को अच्छी तरह से पता है। मैं केवल यह दोहरा सकता हूं कि सीमा की स्थिति संबंधों की स्थिति का निर्धारण करेगी।” भारत और चीन के बीच सीमा गतिरोध पिछले 27 महीने से अधिक समय से चल रहा है।

चीन के संदर्भ में जयशंकर ने कहा, “हम उम्मीद कर सकते हैं कि एशिया में वृद्धि जारी रहेगी क्योंकि आर्थिक और जनसांख्यिकीय रुझान उस दिशा में इंगित करते हैं। यह कितना विभाजित है, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि इसकी दरारों का प्रबंधन कितनी अच्छी तरह या बुरी तरह से किया जाता है। यह बदले में कानूनों, मानदंडों और नियमों के पालन की मांग करेगा। शुरुआत के लिए संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना होगा। क्षेत्र को प्रभावित करने वाली पहल परामर्शी होनी चाहिए, न कि एकतरफा।”

जर्मन राजदूत ने लगाई ड्रैगन को लताड़

वहीं भारत में मौजूद जर्मनी के राजदूत ने ड्रैगन को लताड़ लगाई है। जर्मन राजदूत फिलिप एकरमैन ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, “हम उत्तरी सीमा पर समस्याओं से अच्छी तरह वाकिफ हैं। चीन का दावा है कि अरुणाचल प्रदेश चीन का अभिन्न अंग है, जो अपमानजनक है। इसलिए मुझे लगता है कि सीमा पर उल्लंघन अत्यंत कठिन है और इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।”

बता दें कि जून 2020 में गलवान में भारत-चीन के सैनिकों के बीच भिड़ंत के बाद से ही भारत-चीन के बीच सीमा पर तनाव जारी है। इसे सुलझाने के लिए कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी ये सुलझा नहीं है।