केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लखीमपुर खीरी में हिंसक घटना को “पूरी तरह निंदनीय” करार देते हुए कहा कि भारत के अन्य हिस्सों में भी इस तरह की घटनाएं होती हैं, लेकिन उन्हें उसी समय उठाया नहीं जाता है जब वह घटित होती है। उन्होंने कहा कि इन्हें तब उठाया जाता है जब बीजेपी शासित किसी राज्य में घटित हों और कुछ लोगों के अनुकूल हों। बताते चलें कि सीतारमण इन दिनों अमेरिका की यात्रा पर हैं, हार्वर्ड केनेडी स्कूल में मीडिया से बातचीत में जब उनसे केंद्रीय गृहराज्य मंत्री आशीष मिश्रा से जुड़े सवाल किए गए तो उन्होंने यह टिप्पणी की।
उनसे पूछा गया था कि पीएम मोदी और सीनियर मंत्रियों की तरफ से इस पर कुछ क्यों नहीं कहा गया और जब भी कोई ऐसी बातों के बारे में पूछता है तो हमेशा “बचाव वाली प्रतिक्रिया” क्यों दी जाती है। इस पर उन्होंने कहा कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है….अच्छा है कि आपने ऐसी घटना उठाई, जो पूरी तरह से निंदनीय है और हम में से हर कोई यह कह रहा है। इसी तरह दूसरी जगहों पर हो रही घटनाएं मेरी चिंता का कारण हैं।
सीतारमण ने कहा कि भारत में इस तरह के मामले देश के बहुत से अलग-अलग हिस्सों में हो रहे हैं। मैं चाहती हूं कि आप और डॉ. अमर्त्य सेन समेत वो सभी लोग जो भारत को जानते हैं, वे ऐसी घटनाओं को हर बार उठाएं। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं को मात्र उस समय नहीं उठाया जाना चाहिए, जब इन्हें उठाना हमारे लिए इसलिए अनुकूल है, क्योंकि यह एक ऐसे राज्य में हुई, जहां सत्ता पर बीजेपी का कब्जा हो। यहां उन्होंने कहा कि मेरे एक कैबिनेट सहयोगी का बेटा शायद मुश्किल में है। केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि इस घटना के पीछे किसका हाथ है, यह पता लगाने के लिए पड़ताल की जाएगी।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह मेरी पार्टी या मेरे पीएम के बचाव के बारे में नहीं है। यह भारत के बचाव के बारे में है। उन्होंने कहा कि मैं भारत के लिए बात करूंगी, गरीबों के लिए न्याय की बात करूंगी। मेरा मजाक नहीं किया जाएगा और अगर ऐसा किया जाएगा, तो मैं खड़ी होकर अपने बचाव में कहूंगी कि ‘क्षमा करें, चलिए तथ्यों पर बात करते हैं।
आशीष मिश्रा पर आरोप लगाए गए हैं कि वह उन गाड़ियों में से एक कार में सवार थे, जिसके द्वारा विरोध कर रहे चार किसानों को कुचल दिया था। इन आरोपों के बाद FIR में आशीष का नाम दर्ज किया गया।किसानों के विरोध संबंधी एक सवाल के जवाब में, सीतारमण ने कहा कि सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि अधिनियम पर एक दशक में विभिन्न संसदीय समितियों द्वारा चर्चा की गई थी। उन्होंने कहा कि 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद केंद्र द्वारा इन तीनों कानूनों पर राज्य सरकारों द्वारा अलग-अलग चर्चा की गई है और हर हितधारक से राय-मश्विरा किया गया।