मोदी सरकार द्वारा 8 नवंबर 2016 को की गई नोटबंदी के पांच साल पूरे हो चुके हैं। ऐसे में विपक्षी दलों के नेताओं ने नोटबंदी की वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कई सवाल पूछे हैं। एनसीपी नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने एक ट्वीट में लिखा कि, मोदी जी ने 3 महीने मांगे थे, अब वही बता दें कि हमें किस चौराहे पर आना है?

दरअसल नोटबंदी लागू करने के बाद पीएम मोदी ने देशवासियों को हो रही असुविधा को देखते हुए कहा था, “30 दिसंबर(2016) तक मुझे मौक़ा दीजिए। अगर उसके बाद भी कोई कमी रही, या मेरा कोई ग़लत इरादा निकले तो आप जिस चौराहे पर मुझे खड़ा करेंगे, मैं खड़ा होकर..देश जो सज़ा देगा उसे भुगतने को तैयार हूं।”

इसी को लेकर नवाब मलिक ने निशाना साधते हुए कहा है कि मोदी जी बताएं कि किस चौराहे पर आना है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “आज नोटबंदी को 5 साल पूरे हो गए, ना कालाधन वापस आया, ना भ्रष्टाचार कम हुआ और ना आतंकवाद बंद हुआ। मोदी जी ने 3 महीने मांगे थे, अब वही बता दें कि हमें किस चौराहे पर आना है?”

वहीं शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “नोटबंदी मतलब आर्थिकमंदी की 6ठीं सालगिरह पर सभी देशवासियों को खेद भरी संवेदनाएं। भाजपा सरकार को जश्न-ए-बहारा दिवस की बधाई।”

फोटो सोर्स: ट्विटर/@priyankagandhi

इसके अलावा कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने 4 सवाल पूछते हुए नोटबंदी पर सवाल किया, “अगर नोटबंदी सफल थी तो भ्रष्टाचार खत्म क्यों नहीं हुआ? कालाधन वापस क्यों नहीं आया? अर्थव्यवस्था कैशलेस क्यों नहीं हुई? आतंकवाद पर चोट क्यों नहीं हुई? महंगाई पर अंकुश क्यों नहीं लगा?”

कांग्रेस के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल ने भी नोटबंदी को जुमला बताते हुए लिखा कि इसके जरिए गरीबों की कमाई लूट ली गई। दरअसल नोटबंदी को लेकर एक दावा यह भी किया गया था कि इससे बाजार में कैशलेस व्यवस्था का विस्तार होगा। लेकिन हालात यह है कि अभी भी भारतीय अर्थव्यवस्था में नकदी का बोलबाला है।

बता दें कि नोटबंदी के पांच साल बाद डिजिटल भुगतान में चलन तो बढ़ा है लेकिन इसके साथ-साथ नोटों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हो रही है। हालांकि इस वृद्धि की रफ्तार पहले के मुकाबले जरूर कम है। भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 4 नवंबर, 2016 को मूल्य के हिसाब से 17.74 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे। यह 29 अक्तूबर, 2021 को बढ़कर 29.17 लाख करोड़ रुपये हो गए।