दो जून को हुए भीषण रेल हादसे में 288 लोगों की मौत हो गई थी और एक हजार से अधिक यात्री घायल हो गये थे। रेलवे के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार जांच के दायरे में पांच रेलकर्मी शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि चार अन्य कर्मचारी सिग्नल से संबंधित काम करते हैं और इस महीने की शुरुआत में दुर्घटना के समय ड्यूटी पर थे। पांचों कर्मचारियों पर भविष्य में कोई भी कार्रवाई रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) की दुर्घटना जांच रिपोर्ट पर निर्भर करेगी। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) दो जून को बाहानगा बाजार स्टेशन पर कथित आपराधिक लापरवाही के कारण हुई दुर्घटना की अलग से जांच कर रहा है।
रेल मंत्रालय के अधिकारियों ने इंटरलॉकिंग प्रणाली से संभावित छेड़छाड़ का संकेत दिया है, जिससे कोरोमंडल एक्सप्रेस के लिए सिग्नल हरा हो गया और यह लूप लाइन की ओर निर्देशित हो गई, जहां यह एक खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई। स्वचालित इंटरलाकिंग प्रणाली में गड़बड़ी को इस घटना की बड़ी वजह के तौर पर देखा जा रहा है।
एक वरिष्ठ रेल अधिकारी ने कहा कि फिलहाल पांच रेलकर्मी जांच के केंद्र में हैं। सीआरएस से जल्द ही अंतिम रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है। सूत्रों ने कहा कि तीन संभावित परिदृश्यों की जांच की जा रही है – क्या प्रणाली से छेड़छाड़ जानबूझ कर की गई थी या यह गलती से हुआ या फिर यह क्षेत्र में चल रहे रखरखाव के काम का परिणाम था। दुर्घटना को लेकर विपक्षी दलों की कड़ी आलोचना के बीच दो रेल कर्मचारी संघ रेलवे के समर्थन में सामने आए हैं।
एक साझा बयान में, आल इंडिया रेलवेमेन फेडरेशन (एआइआरएफ) और नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन रेलवेमेन (एनएफआइआर) के महासचिवों ने कहा कि वे रेल हादसे का राजनीतिकरण किए जाने से व्यथित हैं। इसमें कहा गया कि हम यह देख कर बहुत दुखी हैं कि कैसे इस रेल हादसे का राजनीतिकरण किया गया और रेलवे के प्रदर्शन पर सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया में हमले किए जा रहे हैं। इस तरह का प्रत्येक हमला हमारी ईमानदारी और कर्तव्य के प्रति समर्पण का निरादर है।