नरपत दान चारण
लेकिन ऐसे डर अक्सर निराधार होते है। जिनका कोई पुख्ता कारण नहीं होता। ऐसे डर कुछ कमजोर जरूर करते है, लेकिन डर से डर कर नकारात्मक विचार धारण करना ठीक नहीं है। डर हमें एक सीमा में रखकर संतुलित रखने का काम भी करता है। वहीं डर की पराकाष्ठा साहस को पैदा करती है।
जरूरी यह है कि डर से डरकर भागना नहीं बल्कि वजह जानकर सामना करना चाहिए। महान विद्वान एलेनोर रूजवेल्ट का एक प्रसिद्ध उद्धरण है कि – हर उस अनुभव से आपको शक्ति, साहस और आत्मविश्वास मिलता है, जहां आप रुक कर डर का सामना करते हैं, उससे निगाह मिलाते हैं।
जाहिर है कि इसका मतलब यह हुआ कि जब कोई इंसान संकल्प के साथ किसी भी डर से मुकाबला करने के लिए खड़ा होता है ,तो उस डर में सिकुड़ने और अंतत: रास्ता छोड़ने की प्रवृत्ति होती है,उस वक्त उस मुश्किल या डर से बचने या दूर भागने की कोशिश करने की बजाय, उसके सामने डटकर खड़े होने में कम खतरा होता है।
इसी तरह भय के मुकाबले को लेकर महान दार्शनिक थॉमस कार्लाइल का कहना है कि- इंसान का पहला कर्तव्य डर को वश में करना है। इंसान के काम गुलामों जैसे होते हैं.. जब तक की वह डर को अपने पैरों तले नहीं कुचल देता। विद्वानों के इन कथनों से और व्यावहारिक रूप से यह सच सामने आता है कि ज्यादातर डर निराधार और खोखले होते हैं।
हम अपने जीवन में जिन चीजों से डरते हैं, उनमें से अधिकतर कभी हुई ही नहीं होती, सिर्फ कुछ चीजें ही सचमुच हुई होती है और हम उससे डर जाते हैं। अब अगर जब आप उस डर के सामने खड़े होकर, अपने आप को संभालते हैं और थोड़ा संकल्प और साहस रखते हैं, तो आप उससे उबर जाते हैं। यानी संकल्प-साहस के बल पर सारे डर को नियंत्रित किया जा सकता है।
किसी भी डर को दूर करने का पहला कदम बस यह एहसास करना है कि इसे सचमुच दूर किया जा सकता है। कभी भी मन में यह गलत धारणा ना रखें कि आपको जिंदगी भर डर के साथ ही जीना पड़ेगा। आपको ऐसा करने की बिल्कुल जरूरत नहीं है, क्योंकि आपमें क्षमता है डर को भागने की। बस उसे महसूस करें।
बस यह बात ध्यान रखनी है कि डर को खत्म करने के लिए सबसे बड़ा काम संकल्प के साथ यह तय करना होगा कि मैं अब चिंता और डर के बस में नहीं रहना चाहता। मैं अपने मन से चिंता और डर को बाहर निकालना चाहता हूं। अब मैं उनके शिकंजे में नहीं रहना चाहता।
मैं इसी समय निर्णय लेता हूं और यह संकल्प करता हूं कि भीतर बैठे भय को निकाल बाहर फेंकूगा। मै इसी समय प्रबल इच्छा करता हूं कि मेरी चिंता और डर काबू में आए और खत्म हो जाए और मैं आशावान इंसान बन जाऊं। फिर देखना स्वत: ही आप के भीतर का डर आपको छोड़ने लगेगा।आप बिना भय के हर मुश्किल का सामना आसानी से कर सकेंगे।

