Firhad Hakim Muslim Population: पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री फिरहाद हकीम का एक बयान सुर्खियों में आ गया है। उन्होंने ऐसी संभावना जता दी है कि कुछ समय बाद देश में मुस्लिम बहुसंख्यक हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर अल्लाह ने चाहा तो मुसलमान बहुमत में होंगे। उन्होंने यहां तक बोला कि हम संख्या के हिसाब से अल्पसंख्यक हो सकते हैं, लेकिन अल्लाह की कृपा से हम इतने सशक्त हो सकते हैं कि हमें न्याय के लिए मोमबत्ती जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब हकीम के इस बयान के बाद ही चर्चा शुरू हो गई है- क्या सच में देश की डेमोग्राफी इतनी बदल सकती है? कहीं अभी से देश की डेमोग्राफी बदलनी शुरू तो नहीं हो गई?
देश में कितनी मुस्लिम-हिंदू आबादी
अब देश में 2011 के बाद से कोई जनगणना नहीं हुई है, ऐसे में मुस्लिमों की आबादी में कितना बदलाव आया होगा, यह समझना मुश्किल है। लेकिन कई दूसरी ऐसी रिपोर्ट जरूर सामने आई हैं जिन्हें देख कहा जा सकता है कि देश में मुस्लिमों की आबादी तेजी से बढ़ी है। इसी साल प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की एक रिपोर्ट सामने आई थी, उसमें कहा गया कि मुस्लिमों की हिस्सेदारी 1950 से 2015 के बीच में 43.16 फीसदी बढ़ गई थी। दूसरी तरफ बात जब हिंदुओं की आती है तो उनकी हिस्सेदारी 7.82 प्रतिशत घट गई है।
एक और आंकड़ा बताता है कि आबादी के लिहाज से भी मुस्लिम तो देश में बढ़े हैं, लेकिन हिंदू घटते चले गए हैं। 1950 में हिंदुओं की आबादी 84.68 फीसदी थी जो 2015 आते-आते 78.6 फीसदी रह गई यानी कि 6.08 फीसदी की कमी। इसी तरह बात जब मुस्लिमों की आती है तो वहां 1950 में आबादी 9.84 प्रतिशत हुआ करती थी, 2015 में आंकड़ा 14.09 फीसदी तक पहुंच गया। अब यहां पर बड़ी बात यह है कि आंकड़ा 2015 तक का है, आज 2024 चल रहा है, ऐसे में 9 साल और ज्यादा बीत चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि मुस्लिमों की आबादी और ज्यादा बढ़त हुई होगी।
साल | मुस्लिम आबादी |
1951 | 9.70% |
1961 | 10.70% |
1971 | 11.20% |
1981 | 11.40% |
1991 | 12.10% |
2001 | 13.40% |
2011 | 14.20% |
एक दिलचस्प पहलू यह भी सामने आया है कि देश में जितने भी धर्मों को अल्पसंख्यक माना गया है, समय के साथ उन सभी की आबादी में इजाफा हुआ है। 1950 से 2015 के बीच में सिख आबादी 6.58 फीसदी बढ़ी है, ईसाई आबादी 5.38 फीसदी और बौद्ध धर्म की 0.75 प्रतिशत तक बढ़ गई है। लेकिन हैरान कर देने वाला ट्रेंड यह है कि देश में वैसे तो कई अल्पसंख्यक समुदाय की आबादी बढ़ी है, लेकिन पारसी समाज की आबादी आजादी के बाद से ही सिकुड़ती चली गई है। आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं, 2015 तक उनकी देश में संख्या 85 फीसदी तक घट चुकी है।
वैसे टीएमसी नेता हकीम ने तो सिर्फ अनुमान जताया है कि देश में मुसलमान बहुसंख्यक हो जाएंगे, लेकिन देश का उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जहां पर सही मायनों में डेमोग्राफी में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। ऐसा बदलाव जिस वजह से मुस्लिमों की आबादी पिछले कुछ सालों में ही तेज गति से बढ़ गई है। 2011 की जनगणना को ही अगर आधार माना जाए तो उत्तराखंड में मुस्लिमों की आबादी में 39 फीसदी का उछाल देखने को मिला है। साल 2000 में उत्तराखंड में मुस्लिम आबादी 1 लाख के करीब थी, वहीं 2011 में आंकड़ा 14 लाख तक चला गया। असम की बात करें तो वहां मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा दावा करते हैं कि 1950 के बाद से राज्य में मुस्लिमों की आबादी 40 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है।
अब एक और ट्रेंड लोगों को सोचने पर मजबूर कर सकता है। असल में भारत जैसे देश में तो बहुसंख्यक हिंदू कम हो रहे हैं लेकिन जो देश खुद को मुस्लिम बाहुल मानते हैं, वहां उन्हीं की आबादी बढ़ रही हैं, वहां अल्पसंख्यक तो और ज्यादा कमजोर होते जा रहे हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण बांग्लादेश और पाकिस्तान हैं। बांग्लादेश की बात करें तो वहां पर बहुसंख्यक मुसलमानों की आबादी 1950 से 2015 के बीच में 18 फीसदी और ज्यादा बढ़ गई, वहीं अल्पसंख्यक माने जाने वाले हिंदुओं की आबादी 66 फीसदी तक सिकुड़ गई।
अगर पाकिस्तान की बात करें तो वहां पर हिंदुओं की हिस्सेदारी 80 फीसदी तक घट चुकी है, वहीं हनफी मुसलमानों की संख्या 3.75 प्रतिशत तक बढ़ी है। एक ट्रेंड यह भी है कि पूरी दुनिया में अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी 22 फीसदी तक बढ़ी है, लेकिन पाकिस्तान में 80 तो बांग्लादेश में 66 फीसदी तक उनकी आबादी गिर गई है। यह बताने के लिए काफी है कि हिंदुओं की आबादी भारत में तो गिर ही रही है, जहां पर पहले से अल्पसंख्यक हैं, वहां भी उनकी स्थिति कुछ खास नहीं।
वैसे नेपाल जरूर एक ऐसा उदाहरण है जहां पर हिंदू ही ज्यादा संख्या में है। लेकिन भारत की तरफ वहां भी मुस्लिम आबादी में जबरदस्त इजाफा देखने को मिला है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट कहती है कि नेपाल में 1950 में मुस्लिमों की आबादी 2.6 फीसदी थी जो 2015 आते-आते 4.6 फीसदी हो चुकी है। वहीं दूसरी तरफ हिंदुओं की आबादी जो किसी जमाने में 84 प्रतिशत तक थी, वो घटकर 81 फीसदी पर आ गई है।
एक आंकड़ा यह भी है कि पूरी दुनिया में इस समय 38 मुस्लिम बाहुल देश हैं, 94 ईसाई बाहुल चल रहे हैं, लेकिन हिंदुओं के लिए ऐसे मात्र दो देश हैं- हिंदुस्तान और नेपाल।