जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कहा कि अपनी पीएचडी पूरी करना शैक्षणिक जिम्मेदारी से कहीं अधिक अब राजनैतिक जिम्मेदारी है।
सेंटर फॉर पॉलिसी एनालिसिस के कार्यक्रम में कन्हैया ने कहा कि हालिया विवाद जिसने हमपर न सिर्फ राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल होने का ठप्पा लगा दिया बल्कि समूचे विश्वविद्यालय पर झूठे आरोप मढ़ दिए गए।
उन्होंने कहा कि करदाताओं के धन को हमपर खर्च किया जा रहा है और क्यों हमारी पीएचडी में इतना समय लग रहा है और हमें सब्सिडी दी जा रही है इसको लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। इसलिए यह अब मेरे लिए शैक्षणिक से अधिक राजनैतिक जिम्मेदारी बन गई है।
यूनिवर्सिटीज क्रशिंग डिसेंट, इक्विटी एंड पब्लिक फंडिंग विषय पर अपनी बात रखते हुए 29 वर्षीय शोधार्थी ने कहा कि सरकार भारत में शिक्षा व्यवस्था को नष्ट करने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा, भारत में हर सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को नष्ट करने का प्रयास किया है क्योंकि शिक्षा व्यवस्था के जरिए लोग असहमति प्रकट करना सीखते हैं और सवाल पूछना शुरू कर देते हैं। उसके बाद वो छात्र नहीं रहते हैं बल्कि संभावित राजनैतिक विरोधी हो जाते हैं।
उन्होंने कहा, कोई विश्वविद्यालय जो असहमति की अनुमति नहीं देता है वह जेल के अलावा कुछ नहीं है और यह सरकार विश्वविद्यालयों को जेल में तब्दील कर रही है। धन में कटौती की जा रही है, फेलोशिप से मना किया जा रहा है और जो भी उनके आगे नहीं झुकता है उसे राष्ट्रविरोधी करार दिया जाता है।