कर्नाटक विधानसभा के 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव में सभी की निगाहें इस ओर भी लगी हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा नीत जनता दल (सेकु) के लिए यह राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई होगा या क्षेत्रीय पार्टी एक बार फिर मुख्यमंत्री पद पर काबिज होगा या किसी के मुख्यमंत्री बनने में मदद करेगा। 2018 में त्रिशंकु विधानसभा बनी थी।
पिछले कुछ चुनावों की तरह ही इस बार भी राजनीतिक दायरों में इस बारे में बात हो रही है। दलबदल और आंतरिक कलह से त्रस्त, तथा एक पारिवारिक पार्टी होने की छवि के साथ, देवगौड़ा के बेटे एचडी कुमारस्वामी ने एक तरह से अकेले अपने दम पर राज्य भर में जद (सेकु) के प्रचार का प्रबंधन किया, जिसमें उनके वृद्ध पिता पीछे रहे।
कुमारस्वामी ने अपने अभियान को पंचरत्न नामक कार्यक्रम पर केंद्रित किया जिसमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, आवास, किसान कल्याण और रोजगार के मुद्दों को शामिल किया गया और कहा कि इन्हें जद (सेकु) के सत्ता में आने पर लागू किया जाएगा। हालांकि 89 वर्षीय देवेगौड़ा शुरुआत में उम्र संबंधी बीमारियों के कारण चुनाव प्रचार से दूर रहे, लेकिन उन्होंने पिछले कुछ सप्ताह में अपने दल के के उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया, विशेष रूप से पार्टी के गढ़ माने जाने वाले पुराने मैसूर क्षेत्र में।
उन्होंने अपनी पार्टी के खिलाफ कांग्रेस और भाजपा के हमलों का मुकाबला किया। दोनों राष्ट्रीय दलों द्वारा जद (सेकु) को एक-दूसरे की बी टीम बताया जाता रहा है। वर्ष 1999 में अपने गठन के बाद से, जद (सेकु) ने कभी भी अपने दम पर सरकार नहीं बनाई, लेकिन दोनों राष्ट्रीय दलों के साथ गठबंधन में वह दो बार सत्ता में रहा। फरवरी 2006 से वह भाजपा के साथ 20 महीने सरकार में रहा और मई 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के साथ 14 महीने सरकार में रहा जिसके मुख्यमंत्री कुमारस्वामी रहे।
इस बार, पार्टी ने कुल 224 सीट में से कम से कम 123 सीट जीतकर अपने दम पर सरकार बनाने के लिए मिशन 123 का एक महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। हालांकि, कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों और पार्टी के भीतर भी एक तबके को यह लक्ष्य प्राप्त होने को लेकर संदेह है। जद (सेकु) का सबसे अच्छा प्रदर्शन 2004 के विधानसभा चुनाव में रहा था जब इसने 58 सीट जीती थीं। इसके बाद 2013 में इसने 40 सीट पर जीत दर्ज की थी। 2018 में इसके खाते में 37 सीट आई थीं।
जब्ती पिछले विधानसभा चुनाव से साढ़े चार गुना अधिक
जनसत्ता ब्यूरो : निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को कहा कि कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से पहले प्रवर्तन एजंसियों ने 375 करोड़ रुपए मूल्य से अधिक की शराब, मादक पदार्थ और अन्य वस्तुएं जब्त की हैं जो राज्य में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान बरामद सामग्री के मूल्य से साढ़े चार गुना अधिक हैं।
आयोग ने बताया कि इतनी बड़ी मात्रा में जब्ती का कारण चुनाव खर्च पर निगरानी बढ़ाना है। इन वस्तुओं में साड़ी, खाद्य पदार्थों की किट, प्रेशर कुकर और रसोई का अन्य सामान है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राज्य में 29 मार्च को आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद से 288 करोड़ रुपए की संपत्तियों को कुर्क किया है। आयोग ने 81 विधानसभा सीट को ‘चुनाव व्यय के लिहाज से संवेदनशील’ चिह्नित किया है।
एजंसियों ने कोलार जिले की बांगरापेट विधानसभा में 4.04 करोड़ रुपए की नगदी जब्त की है। सभी जिलों में बड़ी मात्रा में शराब भी जब्त की गई है जो संभावित तौर पर मतदाताओं को लुभाने के लिए ले जाई जा रही थी। आयोग ने कहा कि कड़ी निगरानी, पड़ोसी राज्यों के साथ तालमेल और एजंसियों के आपसी समन्वय की वजह से इस बार कर्नाटक में प्रलोभन वाली वस्तुओं के वितरण की जांच तेजी से हुई है।