द्रौपदी मुर्मू के गांव अपरबेड़ा में जश्न का माहौल है। एक ओर पारंपरिक नाच-गाने का आयोजन हो रहा है तो दूसरी ओर पूरे इलाके के लोगों के लिए दावत का इंतज़ाम शुरू हो गया है। उनके गांव वाले घर पर पहुंच रहे हैं। गांव में लड्डू बंट रहे हैं। द्रौपदी मुर्मू के छोटे भाई तारणीसेन टुडू ने कहा, दीदी के शपथ लेने के बाद हम सब राष्ट्रपति भवन देखने आएंगे।
ओड़ीशा की राजधानी भुवनेश्वर से करीबन ढाई सौ किलोमीटर दूर मयूरभंज जिला पड़ता है। इसी जिले में एक गांव है अपरबेड़ा। जहां इस वक्त जश्न का माहौल है। आखिर हो भी क्यों ना। ओड़ीशा के इसी आदिवासी बहुल इलाके से जुड़ी एक महिला देश की राष्ट्रपति बन रही हैं। टुडू कहते हैं कि बीते दो दिनों से गांव और आसपास के लोग लगातार उनके घर पर आकर बधाइयां दे रहे हैं। गुरुवार की सुबह तो उनके गांव में पारंपरिक नृत्य और पारंपरिक भोज का भी आयोजन शुरू कर दिया गया है। द्रौपदी मुर्मू के भाई ने कहा कि दीदी को राष्ट्रपति बनते हुए देखने के लिए पूरे गांव में बड़ी-बड़ी टीवी स्क्रीन भी लगाई गई है। वह कहते हैं कि पूरा देश इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनना चाहता है जब एक आदिवासी महिला देश के सर्वोच्च पद पर बैठेगी।
इस वक्त पूरे गांव में ज्यादातर लोगों ने छुट्टी ले रखी है। इलाके की मिठाई की दुकानों पर हर कोई एक-दूसरे का मुंह मीठा कराने की तैयारी कर चुका है। इस वक्त खेतों में धान की रोपाई चल रही है लेकिन द्रौपदी मुर्मू के गांव के किसानों ने अपने खेतों से आज धान की रोपाई न करने का मन बनाया। ज्यादातर किसान द्रौपदी मुर्मू के गांव और पास के कस्बे रायरंगपुर में जमा हैं। रायरंगपुर के रहने वाले सुईया हुके कहते हैं कि उनके गांव की आबादी का एक बड़ा तबका सेना में है। जबकि बहुत से लोग बीएसएफ और सीआरपीएफ जैसे बलों में सेवाएं दे रहे हैं। अपने गांव और घर की बेटी, बहन और दीदी को राष्ट्रपति बनते देखने के लिए सेना के लोग छुट्टी लेकर इस वक्त गांव पहुंच चुके हैं।
टुडू कहते हैं कि दीदी को जिस तरीके का भोजन पसंद है उसी तरीके की दिव्य दावत का इंतजाम उनके गांव अपरबेड़ा और उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत वाले कस्बे रायरंगपुर में चल रहा है। वह कहते हैं कि द्रौपदी मुर्मू को खाने में सादा और शाकाहारी भोजन ही पसंद है। यहां तक कि द्रौपदी मुर्मू अपने खाने में प्याज और लहसुन का भी इस्तेमाल नहीं करती हैं। वे कहते हैं कि विपरीत परिस्थितियों में पलने बढ़ने वाले पूरे परिवार का उनकी दीदी द्रौपदी मुर्मू बहुत ख्याल रखती हैं।
वे बताते हैं कि दीदी ने बचपन से ही अपने पूरे परिवार को एक डोर में बांधकर रखा है। मां और पिताजी की मौत के बाद से द्रौपदी दीदी ने पूरे परिवार को मां और पिता जी का प्यार दिया। यही वजह है कि उनके बड़े भाई की मृत्यु के बाद भाभी और उनके दो बच्चों समेत पूरे परिवार को दीदी एक डोर में सबको पिरो कर चलती हैं। वे कहते हैं हालांकि दीदी का जीवन बहुत ही व्यस्तताओं भरा है। बावजूद इसके वह अपने परिवार और जनता के बीच सामंजस्य स्थापित कर सबको साथ लेकर चलती हैं।