अग्निपथ योजना को लेकर विरोध की आवाजें तेज होती जा रही है। बीएसएफ के पूर्व जवान तेज बहादुर यादव ने कहा कि “अग्निपथ योजना किसी भी रूप में देशहित में नहीं है। सरकार को देश रक्षा में अपनी जान की कुर्बानी देने वाले वीर जवान नहीं, बल्कि ठेके पर दिहाड़ी मजदूर चाहिए।” कहा कि “नेता अपनी सुरक्षा के लिए एनएसजी, एसपीजी के जवान लेकर चलते हैं और देश के लिए चार साल के अकुशल अग्निवीर लगाएंगे। पहले नेता अपनी सुरक्षा में अग्निवीरों को रखें और एनएसजी और एसपीजी को देश सेवा के लिए बार्डर पर भेज दें। उनको अपना कमांडो क्यों नहीं बनाते हैं।”

उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि “वे हिंसा न करें, तोड़फोड़ आगजनी समाधान नहीं, शांतिपूर्वक आंदोलन करना चाहिए।” तेज बहादुर यादव ने सरकार से कहा कि डेढ़ लाख वेकैंसी आपने रोकी है, पहले उसे भरो।” कहा कि अग्निवीर शहीद या दिव्यांग हो गया तो भी उसको पेंशन नहीं मिलेगी।

कांग्रेस पार्टी ने इसको लेकर देश भर में विरोध -प्रदर्शन का अभियान शुरू करके सरकार से मांग की है कि इस योजना को तत्काल वापस लिया जाए। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि उनकी सरकार सत्ता में आती है तो इस योजना को रद्द कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह अग्निपथ (Agnipath) नहीं अगोनी पथ (Agony Path) है। कहा कि फौज में दो लाख जगह खाली है, सरकार उसमें रेगुलर भर्ती क्यों नहीं करती है। लोकतंत्र में लोगों की आवाज सुनी जानी चाहिए। सरकार को इस योजना को वापस लेना चाहिए।

इस सवाल पर कि हरियाणा सरकार कह रही है कि अग्निपथ से वापस आने वालों को वह नौकरी देगी, उन्होंने कहा कि “सीएम अग्निपथ में जाने वालों का फार्म भरवा लें ताकि आते ही उनको नौकरी मिल जाए।” कहा कि इस योजना से फौज कमजोर होगी। ऐसा नहीं होना चाहिए।

उधर, सोनीपत में कांग्रेस नेताओं और विधायकों ने अग्निपथ योजना का जमकर विरोध किया। प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने कहा कि अग्निपथ योजना के खिलाफ लोगों में काफी गुस्सा व्याप्त है। अग्निपथ योजना ना तो नौजवानों के हित में है, ना ही फौज के हित में है और ना ही देश के हित में है। दीपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि यह योजना युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है और इसे वापस लिया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी ने कहा कि “अग्निपथ योजना नहीं भूंजना है। सरकार युवाओं को गुमराह कर रही है।” कहा कि सरकार अपने डैमेज कंट्रोल के लिए झूठे आश्वासन दे रही है और योजना को अच्छा बता रही है। खुद सरकार भी जानती है कि इससे कोई फायदा नहीं होगा। पेंशन बचाने और पैसा बचाने के नाम पर पहले भी ऐसा करती रही है।