उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित टनल में अभी भी 40 मजदूर फंसे हुए हैं। इन मजदूरों को रेस्क्यू करने के लिए इंडियन एयरफोर्स का मालवाहक विमान हैवी ड्रिल मशीन लेकर वहां पहुंच गया है। जल्द ही इस मशीन के जरिए 90mm के पाइपों का इस्तेमाल कर रेस्क्यू वे बनाने का काम किया जाएगा।

मंगलवार को स्थानीय प्रशासन ने टनल में फंसे कई मजदूरों से उनके परिजनों की बात करवाई। उत्तराखंड के रहने वाले महाराज सिंह नेगी के भाई गब्बर सिंह नेगी भी सुरंग के अंदर फंसे हैं। गब्बर के बेटे आकाश अपने परिवार के साथ सोमवार की देर रात घटनास्थल पर पहुंचे। आकाश वॉकी-टॉकी से अपने पिता से बातचीत करने में सफल रहे।

बातचीत के दौरान गब्बर ने आकाश को अपनी सुरक्षा के बारे में आश्वस्त किया और बताया कि वे बचाव दल के साथ लगातार संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि वे ठीक हैं और नियमित रूप से भोजन के पैकेट प्राप्त कर रहे हैं। आकाश ने बताया कि बातचीत के बाद, मैंने तुरंत अपनी मां से संपर्क किया और उन्‍हें सारी जानकारी से अवगत कराया क्‍योंकि वह बहुत चिंतित थीं।

गब्बर के भाई महाराज सिंह नेगी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि राहत एवं बचाव कार्यो को लेकर वो अधिक चिंतित हैं। उन्होंने कंपनी के अधिकारियों और कर्मचारियों से बात की है जिन्होंने उन्हें आश्वासन दिया है कि भोजन, पानी और दवा जैसी आवश्यक वस्‍तुओं की आपूर्ति नियमित रूप से उन तक पहुंच रही है। लेकिन प्रशासन के प्रयास केवल आंशिक रूप से संतोषजनक हैं।

उन्होंने कहा कि 60 घंटे से अधिक समय बीत चुका है, हम सुरंग के अंदर नहीं पहुंच पा रहे हैं और प्रशासन द्वारा उठाए जा रहे कदमों से अनजान हैं। कुछ लोग कह रहे हैं कि वे कुछ घंटों में बाहर आ जाएंगे तो कुछ लोग कहते हैं कि इसमें कई दिन अभी और लग सकते हैं।

सुरंग में 40 में से 15 मजदूर झारखंड के

सुरंग में फंसे 40 लोगों में से 15 झारखंड के रहने वाले हैं। 22 वर्षीय महादेव नायक के परिवार को ऑडियो मिलने के बाद उन्‍हें सुरक्षित होने की उम्‍मीद काफी बढ़ गई है क्‍याेंकि महादेव ऑडियो में दबी आवाज में अपने एक मित्र से उड़िया में बात करते हुए सुनाई देते हैं और सुरक्षित होने की बात कहते हैं। नायक पश्चिम सिंहभूम जिले के चेलाबेड़ा गांव के रहने वाले हैं और उनके परिवार को अभी तक दिवाली का एहसास नहीं हुआ है। किराने की दुकान चलाने वाले उनके भाई बोनू नायक ने कहा कि सोमवार शाम 6 बजे ऑडियो मिलने से पहले तक परिवार बहुत परेशान था।

आडियो सुनने के बाद मेरी मां रो पड़ी उन्‍होंने कहा, “मेरा बेटा सुरक्षित है और हमने राहत की सांस ली, हम भगवान का जितना शुक्रिया अदा करें कम है।” उन्होंने कहा कि उनका भाई तीन महीने पहले इस नौकरी के लिए गया था। बोनू और महादेव की तीन छोटी बहनें और बूढ़े माता-पिता हैं। “मेरे पिता BSNL के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद से सेवानिवृत्त हैं। उन्होंने कहा, “मुझे मंगलवार सुबह झारखंड राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष से फोन आया और उन्होंने हमें हरसंभव मदद करने का आश्वासन दिया।”

झारखंड सरकार ने तीन सदस्यीय टीम भेजी है जो मंगलवार शाम 5.30 बजे ढहने वाली जगह पर पहुंची। इसके सदस्य, भुवनेश प्रताप सिंह ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “वेंटिलेशन शाफ्ट के जरिए से ध्वस्त टनल में डाले गए लोहे के पाइप के माध्यम से, हमने गिरिडीह जिले के विश्वजीत कुमार वर्मा और सुबोध कुमार वर्मा से बात की और हमने उन्हें अन्य सभी फंसे हुए श्रमिकों को आश्वासन दिया कि झारखंड सरकार उनके साथ है और उन्हें सुरक्षित घर पहुंचाएगी।”

गिरिडीह में, विश्वजीत वर्मा का बेटा ऋषि कुमार, जो 11वीं कक्षा का छात्र है, अपने परिवार को संभाले हुए है। उन्‍होंने बताया कि उनके पिता के साथ-साथ उनके चचेरे भाई भी सुरंंग में फंसे हुए हैं। उन्होंने दिवाली सदमे में बिताई लेकिन पिता के वापस आने पर वो खुशियां मनाएंगे। ऋषि ने बताया कि उनके चाचा, जो ऋषिकेश में रहते हैं, सोमवार को साइट पर गए। ऋषि ने बताया, “मेरे पिता एक पंप ऑपरेटर के रूप में वहां काम करते हैं और रविवार सुबह से उनका फोन नहीं मिल रहा है। मेरी दो छोटी बहनें हैं और मैं उन्हें समझाने की कोशिश कर रहा हूं।”