कश्मीर में मारे गए हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी के पिता का कहना है कि बचपन में बुरहान भारतीय सेना में भर्ती होना चाहता था। 8 अगस्त, 2016 को भारतीय सेना ने बुरहान और उसके साथियों को एक एनकाउंटर में मार गिराया था। जिसके बाद घाटी में हिंसा फैल गई थी। एक सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल मुजफ्फर वानी ने उरी, पठानकोट और पंपोर हमले में पाकिस्तान के हाथ से भी इनकार किया। उन्होंने कहा कि वह एक शिक्षक के तौर पर बच्चों को कश्मीर प्रशासनिक सेवाओं और आईएएस जैसे ‘अच्छे कॅरियर’ के बारे में समझाते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में वानी ने कहा कि ”भारत-पाकिस्तान के बीच शांति सिर्फ बातचीत से ही हो सकती है। सभी हिंदुस्तानी और सभी पाकिस्तानी हमारे भाई हैं।” उरी हमले में पाकिस्तान के रोल को सिरे से खारिज करते हुए उन्होंने कहा- ”पाकिस्तान ऐसा कैसे कर सकता है? आतंकवादी बनने के लिए कश्मीर में घुसने वाला हर शख्स कश्मीरी है। यहां तक कि अगर हिंदुस्तान कोई मुसलमान भी हमला करता है तो वह कश्मीरी आतंकियों द्वारा किया गया हमला हाेगा। कश्मीर समस्या को सुलझाना बहुत जरूरी है, अन्यथा ऐसे हमले होते रहेंगे। लेकिन हम नहीं जानते कि ये आतंकवादी कहां से आ रहे हैं क्योंकि सीमा को भारतीय सुरक्षा बलों ने सील कर रखा है। भारतीय सेना क्या कर रही है? आतंकवादी बॉर्डर से पंपोर कैसे पहुंचे?”
मुजफ्फर ने बुरहान की तुलना क्रांतिकारी भगत सिंह से की है। उन्होंने कहा- ”जब भगत सिंह ब्रिटिश के खिलाफ लड़ रहे थे, उन्होंने उन्हें एक आतंकवादी कहा, मगर भारतीयों ने हमेशा उन्हें स्वतंत्रता सेनानी ही माना। जब कश्मीर की समस्या सुलझ जाएगी, तब भारत को एहसास होगा कि बुरहान आजादी का सिपाही था। नवाज शरीफ ने जो भी कहा, वह मुझे पसंद आया। उन्होंने कहा कि बुरहान की हत्या आजादी के इस आंदोलन में एक नई रोशनी लेकर आई है।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में सवाल पर वानी ने कहा- ”वह हिन्दुस्तान के वजीर-ए-आजम हैं। पिछले दो महीनों में कश्मीर में 200 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। उन्होंने अभी तक कोई दुख नहीं जताया है। उन्होंने सिर्फ जवानों की हत्या पर ही दुख प्रकट किया है।”
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