पंजाब और हरियाणा की सीमाओं पर किसानों पिछले ग्यारह महीने से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की मांग से शुरू हुआ यह प्रदर्शन अब आगे बढ़ गया है। अब किसान चाहते हैं कि भारत विश्व व्यापार संगठन से अलग हो जाए। खास तौर पर पंजाब के किसानों ने मांग की है कि भारत विश्व व्यापार संगठन (WTO) से अलग हो जाए और कृषि समझौते (AoA) के तहत सभी मुक्त व्यापार समझौतों को निलंबित कर दे।

किसानों का तर्क है कि WTO के नियम विकसित देशों के पक्ष में हैं और AoA के कई खंड छोटे भारतीय किसानों के लिए हानिकारक हैं। फरवरी 2024 में, पंजाब के किसानों ने ‘WTO छोड़ो दिवस’ मनाया था जिसमें दावा किया गया कि डब्ल्यूटीओ की नीतियों से भारत की खाद्य सुरक्षा, छोटे किसानों और उनकी आजीविका को खतरा है, विशेष रूप से पंजाब में।

किसान भारत के WTO से हटने की मांग क्यों कर रहे हैं?

प्रदर्शनकारी किसानों के अनुसार, कृषि सब्सिडी को कम करने और अधिक न्यायसंगत व्यापार प्रणाली स्थापित करने के लिए लागू किया गया विश्व व्यापार संगठन का कृषि पर समझौता मूल रूप से भारत जैसे विकासशील देशों के खिलाफ पक्षपाती है। एओए में कृषि उत्पाद शामिल हैं और वानिकी, मत्स्य पालन और जूट और कॉयर जैसे रेशे शामिल नहीं हैं।

भारती किसान यूनियन (डाकुआंडा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि डब्ल्यूटीओ के नियम विकसित देशों के पक्ष में हैं, जिससे उन्हें अपने किसानों को हाई सब्सिडी प्रदान करने की अनुमति मिलती है। उन्होंने कहा कि ये नियम भारत के घरेलू समर्थन कार्यक्रमों जैसे कि न्यूनतम समर्थन मूल्य ( MSP ) और सब्सिडी पर प्रतिबंध लगाते हैं।

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महासचिव सिंह का कहना है कि भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) जो लाखों लोगों के लिए किफ़ायती भोजन सुनिश्चित करती है, उसे अक्सर विश्व व्यापार संगठन की बैठकों में चुनौती दी जाती है। उनके अनुसार, इसका परिणाम वैश्विक बाज़ारों में अधिक उत्पादन और सस्ते कृषि उत्पादों की डंपिंग है, जिससे भारतीय किसानों की आय कम हो रही है और आयात पर निर्भरता बढ़ रही है।

WTO की बैठकों में मजबूत प्रतिनिधित्व की कमी के लिए भारत सरकार की आलोचना

किसान नेताओं ने बताया है कि पुराने मूल्य मानक भारत के बाजार मूल्य समर्थन (MPS) को बढ़ा देते हैं, जिससे लचीले घरेलू समर्थन के लिए बहुत कम जगह बचती है। विकसित देशों के विपरीत, भारत विशेष सुरक्षा उपायों की अनुपस्थिति के कारण आयात में उछाल के दौरान अतिरिक्त शुल्क नहीं लगा सकता है।

जगमोहन सिंह ने विश्व व्यापार संगठन की बैठकों में मजबूत प्रतिनिधित्व की कमी के लिए भारत सरकार की आलोचना की और राजनीतिक नेताओं पर विकसित देशों की अनुचित प्रथाओं को स्वीकार करने का आरोप लगाया।

पंजाब के छोटे किसान विश्व व्यापार संगठन को खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा क्यों मानते हैं?

पंजाब की कृषि अर्थव्यवस्था गेहूं और धान पर बहुत ज़्यादा निर्भर है, जहां एमएसपी प्रणाली के तहत सार्वजनिक खरीद राज्य के कृषि ढांचे की रीढ़ है। पंजाब की लगभग 90% रबी और खरीफ फ़सलें एमएसपी के तहत खरीदी जाती हैं, जिसमें लगभग सभी चावल और 80% गेहूं केंद्रीय पूल में योगदान करते हैं। इस प्रकार सब्सिडी और सार्वजनिक खरीद को प्रतिबंधित करने वाले डब्ल्यूटीओ नियम उनकी आजीविका को ख़तरे में डालते हैं। ये प्रतिबंध पीडीएस को भी कमज़ोर करते हैं, जो लाखों भारतीयों, ख़ास तौर पर ग़रीबी रेखा से नीचे रहने वालों के लिए किफ़ायती भोजन सुनिश्चित करता है।  देश-दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ें jansatta.com का LIVE ब्लॉग