किसान आंदोलन को लेकर सुनवाई के दौरान CJI एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई और इस आंदोलन को हैंडल करने को लेकर ‘निराशा’ जताई। सुप्रीम कोर्ट आज इस मामले में अपना आदेश सुनाने वाला है। इससे पहले कोर्ट ने यह भी कहा गया है कि अगर कोई हल न निकला तो इन कानूनों पर रोक लगा दी जाएगी। CJI बोबडे ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि आप इस मामले को संभाल पा रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि आप कुछ कर पाएंगे।’

CJI ने कहा कि कोर्ट एक कमिटी का गठन करेगा जो बताएगी कि क्या ये कानून किसानों के हित में हैं? उन्होंने कहा, ‘हम एक कमिटी बनाने की सलाह देते हैं और अगर केंद्र इस प्रस्ताव को नहीं मानता है तो कृषि कानूनों को रोक दिया जाएगा। आप समस्या का हल निकालने में नाकामयाब रहे हैं इसलिए हमें यह कदम उठाना पड़ रहा है। हम बातचीत के लायक माहौल बनाएंगे। उस वक्त तक कृषि कानूनों पर रोक लगाई जा सकती है। अगर कानूनों पर रोक लग जाएगी तो बातचीत के जरिए हल भी निकल सकता है।’

चीफ जस्टिस की तरफ से कड़े शब्दों में बात किए जाने पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट का ऑब्जर्वेशन बहुत कठोर है। इसपर सीजेआई ने कहा, ‘इससे ज्यादा अहितकर सच हम नहीं कह सकते थे।’

कोर्ट की यह टिप्पणी तब आई है जब कि 8 जनवरी को सरकार और किसानों के बीत हुई बातचीत बेनतीजा रही। किसान यूनियन ने यह भी दावा किया है कि कृषि कानूनों का विरोध करने पर सरकार ने कहा कि आप कोर्ट जाइए। CJI ने कहा, ‘कृषि कानूनों को बनाने के लिए कौन सी प्रक्रिया अपनाई गई थी कि पूरे राज्य ही विरोधी हो गए हैं। मुझे कहते हुए दुख हो रहा है कि भारत सरकार समस्या का हल निकालने में कामयाब नहीं है। आपने बिना ठीक से सलाह मशविरा किए ही कानून बना दिए और इसीलिए आंदोलन हो रहा है। अब आपको यह आंदोलन खत्म करवाना है।’

कोर्ट ने कहा कि उसे शांति भंग होने की चिंता है। अगर कोई अनहोनी होती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? संविधान के अनुच्छेद 21 की रक्षा कौन करेगा? सुनवाई के आखिरी में कोर्ट ने कहा कि सोमवार या मंगलवार को आदेश सुनाया जाएगा। इसपर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि जल्दी न करिए। मंगलवार को फैसला सुना दीजिएगा। इसपर सीजेआई ने फटकार लगाते हुए कहा, ‘यह फैसला हम करेंगे। आपको समय दिया गया। हमारे धैर्य पर आप भाषण मत दीजिए।’