मोदी सरकार के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन के सात महीने पूरे होने के मौके पर किसानों ने शनिवार को अनेक राज्यों में राज्यपालों के आवास तक मार्च निकालने का प्रयास किया। भारतीय किसान संघ (BKU) के नेता राकेश टिकैत के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी किसानों के एक समूह ने उप राज्यपाल अनिल बैजल से ऑनलाइन बातचीत के बाद उत्तर पूर्व दिल्ली के पुलिस उपायुक्त कार्यालय में अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा।
हालांकि टिकैत खुद उप राज्यपाल से मिलने नहीं गए। मुलाक़ात से पहले टिकैत ने साफ कर दिया था कि युद्धवीर सिंह और दिल्ली की यूनिट उप राज्यपाल के पास जाएगी। युद्धवीर सिंह ने बैजल से ऑनलाइन बातची की। मुलाक़ात के बाद युद्धवीर ने कहा “मोदी सरकार हमारे साथ अहंकारी राजा की तरह पेश आ रही है। हमने सर्दी देखी है, बरसात देखी है और गर्मी देख रहे हैं। हम अपने 500 से ज्यादा साथियों को खो चुके हैं। लेकिन सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता। उनका रवैया निराशाजनक है।”
राकेश टिकैत ने कहा कि जब भी 26 तारीख आएगी सरकार को हमारी याद आएगी। टिकैत ने कहा “26 तारीख को 1975 में इमरजेंसी लगी थी। 26 तारीख को यह आंदोलन शुरू हुआ। 26 तारीख को ही गणतंत्र दिवस भी था। हम तिरंगे हाथ में लिए थे। लेकिन हमारे ऊपर लाठियां बरसाई। जब तक कृषि कानून वापस नहीं, तब तक आंदोलन ख़त्म नहीं होगा।”
किसान नेता ने कहा “प्रदर्शन से फायदा होता है। सरकार के दिमाग में जो मैल जमा है, वह आंदोलन से हट जाएगा। 7 महीने में नहीं खुला आगे खुल जाएगा।” एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि किसानों ने सिविल लाइंस मेट्रो स्टेशन से राजभवन तक विरोध मार्च निकालने का आह्वान किया था। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने किसानों के विरोध मार्च करने की आशंका के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर सुरक्षा इंतजाम शनिवार को कड़े कर दिए।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एक बयान में आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारियों को उपराज्यपाल से मुलाकात की इजाजत नहीं दी गई और उन्हें पकड़कर वजीराबाद पुलिस प्रशिक्षण केंद्र ले जाया गया। उन्होंने कहा कि बाद में उपराज्यपाल के साथ ऑनलाइन संक्षिप्त बैठक कराई गई और उनके प्रतिनिधि को एक ज्ञापन सौंपा गया।
भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने कहा, ” ज्ञापन में केंद्र के नए कृषि कानूनों को वापस लेने और उनकी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाला एक नया कानून बनाने की मांग की गई है।”
इससे पहले, आंदोलन शुरू करने के बाद से किसानों के प्रदर्शन को सात महीने पूरे होने के अवसर पर उत्तर प्रदेश के दूर-दराज क्षेत्रों से सैकड़ों किसान गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे। इनमें से अधिकतर ट्रैक्टर पर सवार होकर आए थे।
दिल्ली और हरियाणा के बीच सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन शुरू करने के बाद से शनिवार को किसानों के प्रदर्शन को सात महीने पूरे हो जाएंगे। राष्ट्रीय राजधानी की दो और सीमाओं टीकरी और गाजीपुर में भी किसानों ने डेरा डाला हुआ है।