Shambhu Border Farmers Protest: हिंदुस्तान की राजनीति में एक बार फिर किसान आंदोलन की जबरदस्त चर्चा है। 300 दिनों से किसान हरियाणा-पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर डेरा डालकर बैठे हुए हैं लेकिन अब जब उन्होंने ऐलान किया कि वे फिर दिल्ली की ओर बढ़ेंगे तो 6 दिसंबर को हरियाणा पुलिस ने उन्हें रोक दिया था। इसके बाद किसानों ने एक दिन का वक्त केंद्र सरकार को दिया था और कहा था कि वह सरकार की ओर से बातचीत के न्यौते का इंतजार करेंगे।
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा है कि सरकार शायद उनसे बातचीत नहीं करना चाहती और अब 8 दिसंबर को 101 किसानों का जत्था फिर से दिल्ली की ओर भेजा जाएगा।
सरकार से बातचीत का नहीं मिला न्योता, कल फिर दिल्ली कूच करेंगे किसान
क्या है किसानों की मांग?
किसान नेता पंढेर का कहना है कि सरकार को एमएसपी पर ही फसलों की खरीद करनी चाहिए और इसके लिए गारंटी कानून भी बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार इस मामले में लोगों को गुमराह कर रही है।
वापस लेने पड़े थे कृषि कानून
किसानों के फिर से दिल्ली कूच करने की हुंकार के बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर क्या इस बार भी किसान केंद्र से अपनी मांग को मनवा पाने में कामयाब होंगे? याद दिलाना होगा कि जब मोदी सरकार 2020 में कृषि कानून लेकर आई थी तब किसानों ने अपनी ताकत का एहसास कराया था। तब कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत पंजाब से ही हुई थी और उन्हें हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश का भरपूर साथ मिला था।
दिल्ली-उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बॉर्डर के अलावा दिल्ली-हरियाणा के टिकरी और सिंघु बॉर्डर्स पर किसान 1 साल तक धरने पर बैठे रहे थे। उस दौरान बीजेपी के नेताओं को बड़े पैमाने पर किसानों का गुस्सा झेलना पड़ा था। मोदी सरकार को अंत में किसानों के आगे झुकते हुए कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा था।
इस साल मार्च में किसानों ने एक बार फिर दिल्ली चलो का नारा दिया था लेकिन तब हरियाणा की सरकार ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया था। इसके बाद किसानों ने शंभू और खनौरी बॉर्डर पर ही डेरा डाल दिया था।
सैनी सरकार ने किए पुख्ता इंतजाम
हरियाणा की सैनी सरकार ने किसान पंजाब से आगे नहीं बढ़ सकें, इसके लिए पूरी ताकत लगा दी है। 6 दिसंबर को किसानों और हरियाणा पुलिस के जवानों के बीच जबरदस्त टकराव हुआ था लेकिन प्रदर्शनकारी किसान आगे नहीं बढ़ सके थे। हरियाणा की बीजेपी सरकार ने शंभू बॉर्डर पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया हुआ है। अंबाला के कई गांवों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। केंद्र सरकार से पैरामिलिट्री फोर्स की 15 टुकड़ियां मंगाई गई हैं और राज्य के पांच जिलों- अंबाला, कैथल, जींद, फतेहाबाद और सिरसा में प्रशासन ने धारा 163 लागू कर दी है। हरियाणा और पंजाब से लगने वाले तमाम बॉर्डर्स पर पुलिस मुस्तैदी से तैनात है।
दूसरी ओर किसान इस बार भी पूरे जोश में हैं। उन्होंने अपने लिए राशन-पानी का इंतजाम किया हुआ है और हुंकार भरी है कि वह किसी भी सूरत में दिल्ली पहुंचेंगे। किसानों के दिल्ली आने की आहट को देखते हुए दिल्ली-हरियाणा के सिंघु, टिकरी और अन्य बॉर्डर्स पर भी पुलिस तैनात है। ऐसे में देखना होगा कि क्या किसान दिल्ली पहुंच पाएंगे?
हरियाणा, वेस्ट यूपी से मिलेगा समर्थन?
हरियाणा पुलिस साफ-साफ कह चुकी है कि वह बिना इजाजत के किसानों को आगे नहीं बढ़ने देगी। पिछली बार किसानों का आंदोलन इसलिए कामयाब रहा था क्योंकि उन्हें हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश से जबरदस्त सपोर्ट मिला था लेकिन इस बार देखना होगा कि अगर किसान पंजाब से हरियाणा की ओर नहीं बढ़ पाए तो क्या होगा? क्या किसानों और पुलिस के बीच एक बार फिर से जबरदस्त टकराव होगा और क्या इसके विरोध में पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की किसान यूनियन फिर से खड़ी होंगी।
कुछ दिन पहले पश्चिम उत्तर प्रदेश के नोएडा में भी किसान सड़कों पर उतर आए थे और उन्होंने दिल्ली कूच का आह्वान किया था लेकिन यूपी पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया था।
ताजा सूरत-ए-हाल में यह साफ दिखाई दे रहा है कि आने वाले दिनों में किसानों और पुलिस के बीच जबरदस्त टकराव हो सकता है। ऐसे में क्या फिर से किसान आंदोलन 2.0 देश में देखने को मिलेगा?
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