कोरोना संकट के बीच दिल्ली की सीमाओं पर मोदी सरकार के तीन कृषि क़ानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। इस आंदोलन को 6 महीने से भी ज्यादा समय हो चुका है और अबतक कोई समाधान नहीं निकला है। ऐसे में भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत ने 26 मई को ‘काला दिवस’ मनाने का ऐलान किया है।
26 मई को नरेंद्र मोदी सरकार के 7 साल पूरे होने जा रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन ने इस दिन को ‘काला दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया है। टिकैत ने ट्वीट कर लिखा “26 मई को आंदोलन के 6 माह पूरे होने पर देश भर के किसान मनाएंगे काला दिवस।” मीडिया से बात करते हुए टिकैत ने कहा कि मुद्दे हमारे वही हैं। मुद्दों से समझौता नहीं किया है। सरकार हम पर आरोप लगाती थी कि किसान बात नहीं करते लेकिन अब हमने पत्र लिख दिया है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन को 6 महीने और मोदी सरकार के 7 साल पूरे होने पर 26 मई को काला दिवस मनाया जाएगा।
26 मई को आंदोलन के 6 माह पूरे होने पर देश भर के किसान मनाएंगे काला दिवस#FarmersProtest @ANINewsUP @Kisanektamorcha @PTI_News @aajtak @news24tvchannel @ndtv @ravishndtv @thewire_in @newsclickin @QuintHindi @TheQuint @HansrajMeena @OfficialBKU pic.twitter.com/qFNfHGxZdV
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) May 22, 2021
कोरोना के दौरान भी आंदोलन जारी है इसपर टिकैत ने कहा “कोरोना पिछले साल आया था, ये बीमारी अब भी जारी है। इस दौरान देश में कानून आ सकते हैं। तो कोरोना काल में देश से कानून हट भी सकते हैं। आंदोलन अभी क्यों जारी न रहे, क्या अभी लोग खेती नहीं कर रहे, नौकरी नहीं कर रहेम गाड़ियां नहीं चल रही, खाना नहीं खा रहे?”
किसान नेता ने कहा “क्या आंदोलन वापस लेने के बाद हम गांव नहीं जाएंगे? ऐसा तो है नहीं कि हम यहां से ऑस्ट्रेलिया जाएंगे जहां कोरोना नहीं है। देश में ही तो रहेंगे ना यहीं पर। ये एक प्रकार का गांव है, ये कॉलोनी हैं। सरकार हम पर आरोप लगाना बंद करे। अगर वे आंदोलन हटाने का किया प्रयास तो और संघर्ष होगा।
राकेश टिकैत ने कहा कि बारिश हुई है। आंधी-तूफान से बचने के लिए ट्रॉली में इंतजाम किए जा रहे हैं। हम तो कहीं जाने वाले नहीं हैं। किसान खेत में भी काम कर रहा है और आंदोलन में भी हिस्सा ले रहा है। किसान नेता ने कहा कि सरकार को अस्पताल, ऑक्सीजन प्लांट ये सब अधिक से अधिक बनाने चाहिए। सामाजिक संस्थाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए। सामाजिक संस्थाओं ने बहुत कार्य किया है उनपर अंकुश नहीं लगाना चाहिए।