बुधवार को विपक्ष के कई नेताओं ने कृषि कानून और किसानों के मुद्दों को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। वहीं किसानों ने भी सरकार के दिए प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया। टीवी डिबेट में सरकार का पक्ष रखते हुए बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सरकार किसानों के विरोध में है तो राजस्थान में क्यों किसानों ने बीजेपी को वोट दिया?
बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि किसान कृषि कानून के खिलाफ है या नहीं इसका प्रमाण राजस्थान में हुए चुनाव में देखने को मिला, अधिकतर किसान तो ग्रामीण क्षेत्रों में हैं तो ऐसे तो हमारी धज्जियां उड़ जानी चाहिए थी। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है। उन्होंने सत्ता का प्रयोग किया लेकिन उसके बाद भी लोगों ने बीजेपी को जीत दिलाई। राजस्थान का किसान हमारे पक्ष में है।
प्रवक्ता ने आगे कहा, ‘एनसीपी के लोग महाराष्ट्र में हो रहे किसान आंदोलन की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. अगर वामपंथी दलों के शासन वाले केरल में एपीएमसी खत्म है लेकिन वे एपीएमसी की शिकायत लेकर राष्ट्रपति को ज्ञापन देने जा रहे हैं. जनता को बेवकूफ कौन बना रहा है ये सबको पता है, चेहरे पर मास्क सिर्फ कोविड का नहीं किसी औैर चीज का भी है।’
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि रही बात शरद पवार की तो उनका लेटर आज पब्लिक डोमेने में है। सब जानते हैं कि उन्होंने पत्र में क्या लिखा था। प्रवक्ता ने कहा कि आज जो देश भारत को किसान का हवाला दे रहे हैं उन्होंने विश्व व्यापार संगठन में भारत के किसानों को एमएसपी दिए जाने का विरोध किया था। त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस और विपक्ष को बताना चाहिए कि वे भारत सरकार के साथ हैं या विदेशी प्रधानमंत्रियों के साथ।
जवाब में कांग्रेस प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है लेकिन इसके बावजूद भी देश में कृषि विरोधी कानून पास हो रहे हैं। देश की सरकार के ऊपर कुछ उद्योगपति बहुत भारी पड़ रहे हैं। क्या उद्योगपति देश में कानून बनाएंगे? इस कानून में इतनी कमियां हैं। इस कानून के साथ समस्या ये है कि संशोधन से काम नहीं चलने वाला है। बल्कि एक नया कानून ही लाना होगा। बीजेपी के लोगों को खेती का व्यवहारिक ज्ञान नहीं है। खाद्य सुरक्षा कानून के चलते किसानों से और फसल खरीदने की जरूरत हुई है। इसलिए मौजूदा सरकार को भी अधिक फसल किसानों से खरीदनी पड़ रही है। बीजेपी को कोई देश पर एहसान नहीं कर रही है।

