Farmers Protest: पंजाब के किसानों के आंदोलन का आज आखिरी दिन है। किसान दिल्ली कूच करेंगे या आंदोलन खत्म होगा। इसकी तस्वीर आज शाम तक ही क्लियर हो सकेगी। इससे पहले सोमवार को किसान नेताओं ने 5 साल तक 5 फसल पर एमएसपी देने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। यह फैसला मौजूदा किसान आंदोलन में भाग लेने रहे दो संगठनों- किसान मजदूर संघर्ष समिति (केएमएससी) और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के किसान नेताओं ने लिया है। इस पर सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि सरकार की मंशा बिल्कुल साफ है कि वह हमें दिल्ली में नहीं आने देंगे।
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने सरकार ने यह बिल्कुल साफ कर दिया है कि वह हमें दिल्ली में नहीं घुसने देंगे। उन्होंने कहा कि अगर सरकार किसानों से बातचीत के जरिये समस्या का हल निकालना चाहती है तो हमें दिल्ली की तरफ बढ़ने से ना रोका जाए। पंधेर ने आगे कहा कि जब हम दिल्ली की ओर बढ़े तो गोलाबारी हुई। ट्रैक्टरों के टायरों पर कई गोलियां भी लगीं हैं। वहीं, हरियाणा के डीजीपी ने कहा कि वे किसानों पर आंसू गैस का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। पंधेर ने आंसू गैस का इस्तेमाल करने वालों के लिए सजा की मांग की है।
हरियाणा में कश्मीर जैसे हालात- सरवन सिंह पंधेर
पंधेर ने आगे कहा कि गलत बयान भी दिए जा रहे हैं। हरियाणा में अब कश्मीर जैसे हालात बन गए हैं। हम 21 फरवरी को दिल्ली की ओर मार्च करेंगे। पंधेर ने कहा कि सरकार ने हमें एक प्रस्ताव दिया है ताकि हम अपनी मूल मांगों से पीछे हट जाएं। अब जो भी होगा उसके लिए सरकार ही जिम्मेदार होगी।
मीडिया से बात करते हुए किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि हम चर्चा के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि सरकार के द्वारा दिए गए प्रस्ताव में कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। यह किसानों के पक्ष में नहीं है, सभी किसान नेता प्रस्ताव को सिरे से खारिज करते हैं। उन्होंने कहा कि पांच फसलों पर एमएसपी देंगे तो बाकी किसानों का क्या होगा? हमारी यह मांग है कि पूरे देश में किसानों की 23 फसलों पर एमएसपी दी जाए। डल्लेवाल ने कहा कि अगर सरकार की तरफ से हमारी मांग पूरी नहीं की जाएगी तो देश का किसान लूटा जाएगा। यह हमें बिल्कुल भी मंजूर नहीं है।
क्या हैं किसानों की मांगे
किसान संगठन जो मांग कर रहें हैं उनमें एमएसपी की कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि कर्ज माफी, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं, इससे पहले हुए किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए मामलों को वापस लेने और उस दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने, लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए किसानों को न्याय देने, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 शामिल हैं।