केंद्र सरकार के कृषि क़ानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। इसी बीच संसद में बजट सत्र भी चल रहा है। इस दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा दिये गए बयान का एक अंश राज्यसभा की कार्यवाही से हटा दिया गया है। कृषि मंत्री ने राज्यसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था कि ‘खेती के लिए पानी की जरूरत होती है। खून की खेती तो बस कांग्रेस करती है, ये बीजेपी नहीं करती।
कृषि मंत्री के इस बयान को उप सभापति वंदना चह्वाण ने हटा दिया है। हालांकि बाद में तोमर ने इसपर सफाई भी दी। तोमर ने कहा “‘वह बयान मैंने इसलिए दिया क्योंकि कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मेरे भाषण के दौरान खून की खेती वाला डॉक्यूमेंट दिखाया था। उसके जवाब में मैंने कहा था कि कांग्रेस खून की खेती करती है। बीजेपी खून की खेती नहीं पानी की खेती करती है।” तोमर ने कहा कि किसानों को भड़काया जा रहा है कि उनकी जमीन चली जाएगी.
कृषि मंत्री ने कहा “किसानों को इस बात के लिए बरगलाया गया है कि ये कानून आपकी जमीन को छीन लेंगे। मैं कहता हूं कि कांट्रैक्ट फार्मिंग के कानून में कोई एक भी प्रावधान बताएं, जो ऐसी बात कहता हो। राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘‘अध्यादेश / विधेयकों को तैयार करते समय विधिवत प्रक्रिया का पालन किया गया था।’’
कांग्रेस से के सी वेणुगोपाल और भाकपा के बिनॉय विश्वम ने सरकार से तीनों कृषि कानूनों को लाने से पहले पूर्व-विधायी परामर्शों के बारे में जानकारी साझा करने के लिए कहा था और साथ ही इस काम के लिए व्यक्तियों / संगठनों / यूनियनों की संख्या के बारे में पूछा था।
जून 2020 में तीन अध्यादेशों को लाने के ‘तात्कालिक’ कारणों का हवाला देते हुए, तोमर ने कहा कि कोविड-19 की वजह से हुए लॉकडाउन के दौरान बाजारों और आपूर्ति श्रृंखलाओं के विघटन के कारण, किसानों को लाभकारी कीमत पर अपने खेत के निकट अपने उत्पाद की बिक्री कर सकने की सुविधा प्रदान करने की अनुमति देने की सख्त आवश्यकता थी।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 स्थिति का मांग पक्ष पर वैश्विक रूप से लंबे समय तक प्रभाव हो सकता है, इसलिए अध्यादेशों को लाने की आवश्यकता बनी ताकि किसानों की आय को बढ़ाने के मकसद को ध्यान में रखते हुए उन्हें नयी सुविधाओं को उपलब्ध कराया जाये और उन्हें राज्य के भीतर और अन्तरराज्यीय बाधामुक्त व्यापार के जरिये बिक्री के लिए बेहतर बाजार पहुंच की सुविधा दी जा सके।
