केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन नए कृषि क़ानूनों को लेकर किसान संगठन पिछले 6 महीनों से राजधानी दिल्ली की सीमा प्रदर्शन कर रहे है। अब किसान 26 मई को आंदोलन के 6 महीनें पूरे होने पर दिल्ली की सीमाओं पर जोरदार प्रदर्शन करने की तैयारी में है। किसान संगठन किसानों के नए काफिले को पंजाब और हरियाणा से दिल्ली की ओर जाने का अपना रास्ता बना रहे हैं।

पंजाब में कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के पक्ष में अपने घर पर काला झंडा लगा कर अपना समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि पंजाब आज तीन काले कानूनों के खिलाफ लड़ रहा है। किसानों के समर्थन में लोगों का आगे आना चाहिए। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि वे किसानों की ताकत दिखाने के लिए नहीं करेंगे बल्कि कोविड प्रोटोकॉल के साथ एक प्रतीकात्मक विरोध करेंगे।

क्रांतिकारी किसान यूनियन पंजाब के अध्यक्ष डॉ दर्शन पाल ने कहा कि हम गांवों, शहरों और दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। हम काली पगड़ी, दुपट्टे या कपड़े पहनकर प्रदर्शन करेंगे…किसान अपनी छतों, ट्रैक्टरों पर काले झंडे लगाएंगे और पंजाब के हर गांव और दिल्ली की सीमाओं पर मोदी सरकार के पुतले जलाएंगे।उन्होनें कहा अपनी बात में आगे कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमने बड़े स्तर पर किसान आंदोलन किया है लेकिन हमारा ध्यान संख्या पर नहीं है। हम सामाजिक दूरी और अन्य कोविड प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए विरोध करेंगे।

क्या इस कोरोना के संकट भरे समय व दूसरी लहर के बीच भीड़ का कोई औचित्य है? यह सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार हमारी दिक्क्त के बारे में न सोचकर हमें खलनायक के रूप में देख रही है। सरकार को अपने प्रस्ताव को बेहतर करने की जरूरत है। किसान सही मांगों के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं।

बीकेयू के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा कि उन्होंने दूसरी लहर के बीच इसे न करके आगे बढ़ाने के लिए गाँवों में बैठकें की थीं, लेकिन ग्रामीण धरने पर अड़े थे। कोविड के कारण हम दिल्ली की सीमाओं पर खुले स्थानों पर विरोध कर रहे हैं जहां हमारी संख्या काफी कम है। लेकिन सरकार कोविड की आड़ में हमे बदनाम कर रही है।

उन्होंने आगे कहा कि हम कोरोना को लेकर भी चिंतित है जिससे बचने के लिए हम सब हम नियमित रूप से गरारे करते हैं, भाप लेते हैं। इसके साथ ही स्वच्छता का विशेष ध्यान रखते है और यदि किसी व्यक्ति में कोरोना के लक्षण दिखाई देते है तो उसे अलग कर दिया जाता है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि उनके पास हर विरोध स्थल पर डॉक्टरों की एक टीम भी है।सुखदेव सिंह ने कहा कि हम सरकार से ज्यादा जिम्मेदार हैं।

बीकेयू के मीडिया प्रभारी वीरपाल सिंह ने कहा कि कई एनजीओ ने सभी सीमाओं पर लगभग 1 लाख मास्क और 50,000 सैनिटाइज़र बांटें हैं। हम सब टीकाकरण के लिए तैयार है। हमारे कई कई किसानों ने टीके की पहली डोज ले ली है।अखिल भारतीय किसान सभा की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष प्रेम सिंह गहलोत ने कहा कि किसान पहले से ही सिंघू, टिकरी और गाजीपुर में खुले स्थानों पर सामाजिक दूरी का पालन करते हुए धरना दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम 26 मई को झंडा दिवस मनाएंगे और हमें ऐसा करने से कोई रोक नहीं सकता है।

माझा स्थित किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने दूसरों बातों को आगे बढ़ाते हुए कहा कि उन्होंने किसानों की संख्या को काफी कम कर दिया है। उन्होंने बताया कि पहले हम एक बार में 15,000-20,000 के काफिले में चलते थे, अब हम एक बार में 4,000-5,000 की संख्या में जा रहे हैं। पंढेर ने कहा कि उन्हें इस बात का आश्चर्य है कि जब पिछले साल कोरोना की लहर पीक पर थी तो सरकार ने कृषि कानून क्यों पारित किए।

पंजाब किसान यूनियन के अध्यक्ष रुलदू सिंह मनसा ने कहा कि सीमा पर भीड़ नहीं रहेगी क्योंकि हमने किसानों से अपने गांवों में ही एनडीए सरकार का पुतला जलाकर अपना गुस्सा जाहिर करने को कहा है। उन्होंने आगे कहा कि मैं 26 मई को काली पगड़ी पहनूंगा और जब तक हमारी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक इसे पहनूँगा। नेताओं ने द इंडियन एक्सप्रेस से बताया कि वे बातचीत के माध्यम से एक प्रस्ताव के लिए तैयार हैं लेकिन सरकार को एक सही प्रस्ताव के साथ आना चाहिए।

जब यह सवाल पूछा गया कि क्या उनका संगठन 27 मई से पटियाला में तीन दिवसीय धरना न करने की पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर की याचिका पर ध्यान देगा।इसका जवाब देते हुए कोकरीकलां ने कहा,इसे हम नहीं मानेंगे ,हम अपना धरना जारी रखेंगे।उन्होंने कहा की कोविड की मृत्यु दर 5 से 10 प्रतिशत है,जबकि इस कृषि कानून में मृत्यु दर 100 प्रतिशत है।

किसानों के प्रदर्शन के बारे में मालवा बेल्ट के अधिकारियों ने कहा कि वे कोरोनोवायरस के बारे में जागरूकता बढ़ाने का काम रहे हैं। बठिंडा डिपुरी कमिश्नर बी श्रीनिवासन ने कहा कि हमें अभी तक किसानों के इस विरोध प्रदर्शन के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है, लेकिन हम राज्य और ग्रामीण इलाकों में अधिक मृत्यु दर को देखते हुए उन्हें बड़ी संख्या में इकट्ठा से रोक रहे हैं।

मनसा के डीसी मोहिंदर पाल ने कहा कि अभी प्रशासन कोविड मामलों की जाँच के लिए डोर-टू-डोर सर्वेक्षण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे जागरूकता अभियान के कारण इस साल की शुरुआत की तुलना में ग्रामीण बहुत कम संख्या में बाहर निकल रहे हैं। वहीं संगरूर के उपायुक्त रामवीर ने कहा कि हम सैंपलिंग और टीकाकरण पर ध्यान दे रहे हैं। हमारा ध्यान अभी तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण को रोकने पर है।